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Shivraj Singh Chauhan Vs Kamalnath: मध्यप्रदेश पर शासन का सबसे लंबा अनुभव शिवराज सिंह चौहान के पास, लेकिन कांग्रेस के कमलनाथ भी सियासत के हैं दमदार खिलाड़ी

कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व सीएम कमलनाथ का दावा है कि वो एक्जिट पोल पर ध्यान नहीं देते और उनकी पार्टी ही सत्ता में आएगी। वहीं, मौजूदा सीएम और बीजेपी के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान दावा कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश में एक बार फिर कमल खिलेगा। दोनों ही मध्यप्रदेश के बड़े नेता हैं।

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के लिए चुनाव नतीजे आने के बाद ये तय हो जाएगा कि राज्य में अगली सरकार किसकी बनेगी। फिलहाल कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व सीएम कमलनाथ का दावा है कि वो एक्जिट पोल पर ध्यान नहीं देते और उनकी पार्टी ही सत्ता में आएगी। वहीं, मौजूदा सीएम और बीजेपी के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान दावा कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश में एक बार फिर कमल खिलेगा। शिवराज को हालांकि इस बार बीजेपी नेतृत्व ने सीएम के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया और विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के ही चेहरे पर पार्टी ने वोट मांगा, लेकिन माना यही जा रहा है कि बीजेपी अगर फिर मध्यप्रदेश की सत्ता में लौटती है, तो शिवराज सिंह चौहान उसका एक बार फिर सीएम चेहरा बन सकते हैं।

शिवराज सिंह चौहान का चेहरा मध्यप्रदेश में कितना दमदार है, ये इसी से पता चलता है कि अब तक वो 4 बार सीएम पद संभाल चुके हैं। शिवराज पहली बार 29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश के सीएम बने थे। इसके बाद 8 से 13 दिसंबर 2013 और फिर 14 दिसंबर 2013 से 2018 तक वो फिर सीएम रहे। 2018 में चुनी गई कमलनाथ की कांग्रेस सरकार 22 विधायकों के बीजेपी में चले जाने के कारण 15 महीने में ही गिर गई। उसके बाद 23 मार्च 2020 से शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सीएम बन गए। इस बार नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल जैसे केंद्रीय मंत्री भी मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावी समर में उतरे हैं। ऐसे में बीजेपी सरकार बनने पर इनका दावा भी सीएम पद पर रहेगा, लेकिन शिवराज ने जिस तरह मध्यप्रदेश की जनता में छवि बनाई है, उसे देखकर नहीं लगता कि बीजेपी नेतृत्व किसी और चेहरे को सीएम बनाने के बारे में सोच सकता है।

Kamalnath

अब बात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की कर लेते हैं। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में कमलनाथ को ही बतौर सीएम चेहरा बताकर चुनाव लड़ा। कई वादे कमलनाथ और राहुल गांधी ने जनता से किए। राहुल गांधी ने बीजेपी पर मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार चुरा लेने का भी आरोप लगाया। कमलनाथ गांधी परिवार के बहुत करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। वो केंद्रीय मंत्री भी रहे, लेकिन 2018 में मध्यप्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार को कमलनाथ संभाल नहीं पाए। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब हाथ का साथ छोड़ कमल थामा, तो उनके करीबी विधायकों को कमलनाथ बीजेपी में जाने से रोक नहीं सके। वो 17 दिसंबर 2018 को सीएम बने थे और 15 महीने पद संभालने के बाद 20 मार्च 2020 को इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में देखें, तो मध्यप्रदेश पर शासन करने का जितना अनुभव शिवराज सिंह चौहान को है, उतना कमलनाथ को नहीं। हालांकि, वो राज्य के कद्दावर नेताओं में गिने जरूर जाते हैं।