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महाराष्ट्र सरकार में ‘खटपट’ के संकेत!, क्या समय से पहले होंगे विधानसभा चुनाव? शिवसेना का सामना में सवाल

Shivsena Saamana: नाना पटोले द्वारा खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार बताने पर शिवसेना ने कहा कि, किसी को भी राजनीतिक आकांक्षाएं पालने में कोई बुराई नहीं लेकिन उन आकांक्षों को पूरा करने के लिए संख्या बल की आवश्कता होती है।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल दलों के नेताओं के इन दिनों ऐसे बयान सामने आ रहे हैं, जिनसे पता चलता है कि इस सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। गौरतलब है कि इस गठबंधन की सरकार में शामिल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि, अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। इसपर अब शिवसेना की तरफ से पलटवार किया गया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए लिखा है कि, ‘2024 के लोकसभा और विधानसभा के लिए अभी काफी समय है लेकिन प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस अचानक अकेले चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। क्या मध्यावधि चुनाव कराने की कोई योजना है? उसने कहा कि 2019 में जो हुआ उसके बाद 2024 की बात करना अभी जल्दबाजी होगी। बता दें कि कांग्रेस नेता नाना पटोले ने 14 जून को कहा था कि, “कांग्रेस महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। आलाकमान ने फैसला किया तो मैं मुख्यमंत्री का चेहरा बनने के लिए तैयार हूं।”

Congress Shivsena NCP

कांग्रेस को लिया आड़े हाथों

इस बयान के बाद शिवसेना ने सामना में कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि, महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में कांग्रेस एक महत्वपूर्ण घटक दल तो है लेकिन वह तीसरे स्थान पर है। शिवसेना ने कहा, ‘हालांकि उपमुख्यमंत्री (राकांपा नेता) अजित पवार ने कहा है कि जिसके पास 145 विधायकों का समर्थन होगा वह अगली सरकार बनाएगा और वही मुख्यमंत्री का फैसला करेंगे। उनका बयान भी सही है। संसदीय लोकतंत्र बहुमत का आंकड़ा जुटाने पर निर्भर है। जो कामयाब होगा वह सत्ता में बैठेगा।’

कांग्रेस पर निशाना

नाना पटोले द्वारा खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार बताने पर शिवसेना ने कहा कि, किसी को भी राजनीतिक आकांक्षाएं पालने में कोई बुराई नहीं लेकिन उन आकांक्षों को पूरा करने के लिए संख्या बल की आवश्कता होती है। कुछ ऐसे ही पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि वह सरकार दोबारा बनाएंगे, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके। भाजपा के 105 सीटें जीतने के बावजूद तीन अन्य दलों (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस) ने गठबंधन सरकार बना ली।