संभल/सहारनपुर। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को जायज ठहराने और उनकी तारीफ करने का सिलसिला जारी है। तालिबान की अब तारीफ करने में सामने आए हैं संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के बेटे ममलूक-उर-रहमान और उत्तराखंड में मंत्री रहे मौलाना मसूद मदनी। इन दोनों ने तालिबान को बदला हुआ और भारत का दोस्त बताया है। मदनी तो ममलूक से एक और कदम आगे बढ़ गए, उन्होंने मोदी सरकार से मांग कर दी है कि वह तालिबान को मान्यता दे। पहले बात करते हैं सपा सांसद के बेटे की। शफीकुर्रहमान बर्क के बेटे ममलूक-उर-रहमान सुन्नी धर्मगुरु हैं। पहले उनके पिता ने तालिबान के समर्थन में बयान दिया था। अब ममलूक ने तालिबान की तारीफ के पुल बांधे हैं। ममलूक ने कहा है कि अमेरिका को हराने वाला तालिबान हीरो है। उन्होंने कहा कि हम तालिबान को मुबारकबाद देते हैं। तालिबान भारत के खिलाफ कुछ नहीं बोला है और वह हमारे साथ है। बता दें कि ममलूक के सपा सांसद पिता ने तालिबान की इसी तरह तारीफ की थी और इस मामले में बीजेपी के एक नेता ने संभल थाने में उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज कराया है।
सांसद के बेटे का तालिबान प्रेम!
संभल सांसद शफीक-उर-रहमान के बेटे का बयान
‘तालिबान हीरो, अमेरिका को हराया’#BreakingNews #BadiKhabar pic.twitter.com/kYP9Zuie26— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) August 19, 2021
उधर, उत्तराखंड में राज्य मंत्री रहे मौलाना मसूद मदनी तो ममलूक से भी आगे बढ़कर तालिबान के प्रवक्ता के तौर पर बयान दे रहे हैं। सहारनपुर में मसूद मदनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि तालिबान बदल चुका है। ऐसे में भारत सरकार को उससे बात करनी चाहिए और अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देनी चाहिए। मसूद मदनी ने कहा कि हमें तालिबान से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि तालिबान ने भारत को कोई धमकी नहीं दी। उन्होंने ये भी कहा कि तालिबान तो कह रहा है कि वह महिलाओं को काम करने देगा और हिजाब पहनने के लिए मजबूर भी नहीं करेगा।
मसूद मदनी ने अमेरिका पर निशाना साधा और कहा कि अमेरिका की वजह से ही काबुल एयरपोर्ट पर भगदड़ का नजारा देखा गया और कई लोगों की जान गई। इससे पहले पीस पार्टी के प्रवक्ता ने भी तालिबान की तारीफ में ट्वीट किया था, लेकिन बाद में उसे डिलीट कर दिया। जबकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने भी तालिबान की तारीफ में बयान दिया था। नोमानी के इस बयान से हालांकि बोर्ड ने पल्ला झाड़ते हुए इसे उनका निजी बयान बताया था।