नई दिल्ली। तारीख थी 2 दिसंबर….साल 2023…जब न्यूज वेबसाइट ऑप इंडिया की प्रधान संपादक नूपुर जे शर्मा ने हमास संगठन के संस्थापक हमास शेख हसन यूसुफ के बेटे हसन यूसुफ का साक्षात्कार लिया था, जिसमें नूपुर ने मुख्तलिफ मसलों को लेकर सवालात किए। साक्षात्कार का सिलसिला शुरू हुआ तो बात सूफी संतों तक पहुंच गई, तो लगे हाथों नूपुर ने हसन यूसुफ से सूफी संतों के बारे में सवाल दाग दिए। जिस पर हसन युसूफ ने अपने सूफी संतों की तारीफ में कसीदे पढ़ डाले। हसन ने कहा कि सूफी सर्वाधिक शांतिपूर्ण, इस्लाम की सर्वाधिक अध्यात्मिक शाखा है, जिस पर नूपुर ने काउंटर सवाल करते हुए कहा कि एक हिंदू के लिए आपका बयान पूरी तरह से खोखला है। नूपुर ने आगे कहा कि किसी भी हिंदू के लिए आपके इस बयान को पचा पाना आसान नहीं है, क्योंकि जिस तरह सूफी संतों ने हिंदू बहन-बेटियों की आबरू को लूटा है, उसे ध्यान में रखते हुए किसी भी हिंदू के लिए आपके इस बयान को हजम कर पाना मुझे नहीं लगता है कि आसान होगा? नूपुर ने अपने इंटरव्यू में अजमेर दरगाह के मोइनुद्दीन चिश्ती का भी जिक्र किया।
वहीं, इस इंटरव्यू के बाद ऑप-इंडिया की प्रधान संपादक नूपुर जे शर्मा को जान से मारने की धमकी मिलने लगी, जिसकी अब सूफी इस्लामिक बोर्ड ने निंदा की है और लगे हाथों यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हम पीएफआई सरीखे संगठनों के विरोध में थे और हमेशा रहेंगे। इसके अलावा रही बात नूपुर शर्मा को मिल रही धमकी को लेकर, तो हम हर स्थिति में उनके साथ हैं और चाहते हैं कि इस पूरे मामले को यहीं विराम दिया जाए।
वहीं, इस इंटरव्यू की बात करें, तो नूपुर का बयान चर्चा में आने के बाद सर्व धर्म ख्वाजा मंदिर सूफी इस्लामिक बोर्ड के प्रमुख सूफी राज जैन ने बयान जारी कर कहा कि इस देश में हर व्यक्ति को संविधान के तहत अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान की गई है, जिसके तहत वो किसी भी मसले पर बयान दे सकते हैं, लेकिन हाल ही में जिस तरह का बयान नूपुर जे शर्मा ने साक्षात्कार के दौरान सूफी संतों के संदर्भ में दिया है, मुझे लगता है कि उन्हें इस विषय पर विस्तृत चर्चा करने हेतु हमारे समक्ष वार्ता की मेच पर बैठना चाहिए। इसके अलावा उन्हें दरगाह भी आना चाहिए, ताकि उनके समक्ष पूरी वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सकें।
वहीं, मंसूर खान को दिल्ली पुलिस की ओर से फोन आया था, जिसमें कहा गया था कि अगर वो चाहे तो नूपुर के खिलाफ विधिक कार्रवाई कर सकते हैं। उन्हें इसकी पूरी स्वतंत्रता है। लेकिन मंसूर खान ने पुलिस को स्पष्ट कर दिया था कि हम फिलहाल ऐसी कोई भी विधिक कार्रवाई करके मामले को ज्यादा तूल ना देकर इसे यही विराम देना उचित समझते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे संज्ञान में आया है कि इस वीडियो को वायरल में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का जिक्र नहीं है। वीडियो के वायरल होने से पहले ही इस हिस्से को हटा दिया गया था ।
उन्होंने कहा कि वैसे तो हर व्यक्ति को इस देश में अभिव्यक्ति की आजादी के तहत किसी भी मसले पर अपनी राय देने का हक है, लेकिन जिस तरह से हाल ही में नूपुर जे शर्मा को जान से मारने की धमकी दी गई है, उसकी हम निंदा करते हैं। जब हमारे सूफी संगठन को पीएफआई और अल मसारी जैसे संगठनों से धमकी मिल रही थी, तो उस वक्त सिर्फ नूपुर जे शर्मा और उनका संस्थान ही हमारे साथ खड़ा था। हम इस बात से अवगत हैं कि नूपुर जे शर्मा हिंदू और हिंदुस्तानियों को उग्रवादी संगठनों से बचाने के प्रति संजीदा व संवेदनशील बनी रहती हैं। नूपुर ने पीएफआई के विरोध में अभियान चलाकर हमारी कई मौकों पर मदद की है, जिसके प्रति हम उनका आभार प्रकट करते हैं और चाहते हैं कि इस मामले को ज्यादा तूल ना देकर इसे यहीं विराम दिया जाए।
सर्वविदित है कि उक्त बयान के बाद नूपुर जे शर्मा विवादों में घिर गईं थीं। कई मुस्लिम संगठनों की ओर से उन्हें जान से मारने की धमकी मिलने लगीं। उनसे कहा जाना लगा कि वो खुद को पुलिस के हवाले कर दें। वहीं, जब नूपुर जे शर्मा अपनी उक्त टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरीं, तो उन्होंने अपनी सफाई में स्पष्ट कर दिया कि साक्षात्कार के दौरान वो 1992 के अजमेर दरगाह रेप स्केंडल का जिक्र कर रही थीं। सनद रहे कि नूपुर जे शर्मा का यह वीडियो उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब श्रीनगर स्थित एनआईटी में अध्ययनरत छात्र को बर्खास्त कर दिया गया था।