नई दिल्ली। दिल्ली देश की राजधानी है। इस लिहाज से काफी बड़ा शहर है और बड़ा शहर होने के नाते आबादी भी 2 करोड़ से कुछ ज्यादा है। अब इतनी बड़ी आबादी में आए दिन हादसे तो होते ही रहते हैं, लेकिन दिल्ली में कोई साल ऐसा नहीं बीतता, जब आग लगने की छोटी-मोटी घटनाएं न होती हों। पिछले 25 साल की बात करें, तो शुक्रवार को मुंडका इलाके में लगी आग की घटना को मिलाकर अब तक 6 बड़े अग्निकांड देश की राजधानी में हो चुके हैं। इन अग्निकांड में करीब 200 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। हर बार अग्निकांड के बाद जांच होती है और ज्यादातर में पता चलता है कि लापरवाही ऐसी घटनाओं की सबसे बड़ी वजह है।
मुंडका के हादसे से पहले दिल्ली में अग्निकांड की पिछली बड़ी घटना 8 दिसंबर 2019 को हुई थी। उस तारीख को बीच शहर में स्थित रानी झांसी रोड पर एक चार मंजिला फैक्ट्री में सुबह के वक्त भीषण आग लगी थी। उस वक्त तमाम कारीगर सो रहे थे। इस भीषण अग्निकांड में 43 कर्मचारियों की मौत हो गई थी। इससे पहले 2019 में ही 11 और 12 फरवरी की दरम्यानी रात करोलबाग इलाके के होटल अर्पित में आग लगी थी। इसमें 17 लोगों ने जान गंवाई थी। साल 2018 में भी दिल्ली में आग लगने की एक बड़ी घटना हुई थी। ये घटना जनवरी 2018 में हुई थी, जब बवाना इलाके में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 17 लोगों ने जान गंवाई थी।
इससे पहले 20 नवंबर 2011 को दिल्ली के नंदनगरी में एक कार्यक्रम के दौरान आग लगी थी। इस भीषण अग्निकांड में 14 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। करीब 30 लोग यहां झुलसे थे। हालांकि, दिल्ली में अब भी सबसे भीषण आग लगने की घटना उपहार सिनेमा अग्निकांड के तौर पर जाना जाता है। उपहार सिनेमा में 13 जून 1997 को भीषण आग लगी थी। उस वक्त फिल्म ‘बॉर्डर’ का शो चल रहा था और सिनेमाहॉल खचाखच भरा था। इस हादसे में 59 लोगों ने जान गंवा दी थी।