नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा द्वारा 5 विधायक मनोनीत किए जाने के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं और याचिकाकर्ता से पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा। दो जजों की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ता रविंदर कुमार शर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए।
#SupremeCourt declines to entertain a petition assailing J&K Lieutenant Governor’s proposed decision to nominate 5 members to the J&K Assembly
Bench: Justices Sanjiv Khanna and Sanjay Kumar pic.twitter.com/KpoCjTvjt8
— Live Law (@LiveLawIndia) October 14, 2024
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में 90 सीटों पर चुनाव हुए जिनमें से सरकार बनाने के लिए 46 सीटों के बहुमत की आवश्यकता है। बीजेपी के पास 29 सीटे हैं। जबकि नेशनल कांफ्रेंस 42 सीटों पर जीती है। एनसी की सहयोगी पार्टियां कांग्रेस 6 और सीपीआई (एम) के पास एक सीट है। एक सीट आम आदमी पार्टी के पास जबकि 3 सीट पर पीडीपी ने कब्जा जमाया है। अन्य बची 8 सीटों पर निर्दलीय विधायक जीते हैं। उधर चुनाव के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए 5 विधायकों को मनोनीत कर दिया। इससे विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 45 से बढ़कर 48 हो गया है। अब इन मनोनीत विधायकों को लेकर ही विवाद छिड़ गया है।
एलजी के इस फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और सीपीआई (एम) के भारतीय गठबंधन ने विधानसभा में 49 सीटें हासिल कीं, जिससे 5 सदस्यों के नामांकन के बाद भी वो 48 सीट के बहुमत के आंकड़े से ऊपर हो गए। वहीं 4 निर्दलीय विधायकों और आम आदमी पार्टी के भी एक विधायक ने नेशनल कांफ्रेंस को समर्थन का ऐलान किया है। इस तरह से नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।