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Relief to Election Commission : चुनाव आयोग को वोटिंग प्रतिशत के लिए 48 घंटे की डेडलाइन देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

Relief to Election Commission : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और महुआ मोइत्रा की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि हम चुनाव में बाधा नहीं डाल सकते और हमें इस मामले में संयमित दृष्टिकोण अपनाना होगा।

नई दिल्ली। चुनाव खत्म होने के 48 घंटे के अंदर मतदान प्रतिशत के आंकड़े आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को कोई निर्देश देने से इनकार करते हुए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की याचिका को खारिज कर दिया। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और महुआ मोइत्रा की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि हम चुनाव में बाधा नहीं डाल सकते और हमें इस मामले में संयमित दृष्टिकोण अपनाना होगा।

इससे पहले हुई पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आशंकाओं के आधार पर मतदान प्रतिशत को लेकर आयोग पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने फॉर्म 17C का डेटा सार्वजनिक करने से इनकार करते हुए कहा कि नियम के अनुसार फॉर्म 17C केवल मतदान एजेंट को ही दिया जाना चाहिए। इसका सार्वजनिक रूप से खुलासा करना ठीक नहीं है। फॉर्म 17सी को वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है, जिससे जनता के बीच अविश्वास पैदा हो सकता है।

निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाता है। जब चुनाव चल रहे हैं तो निहित स्वार्थ वाली इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह सब जानबूझकर फैलाया जा रहा झूठ है। मनिंदर सिंह ने इसके लिए याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने की भी सुप्रीम कोर्ट से मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव शुरू होने के बाद यह याचिका क्यों दायर की गई?