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Snooping Row: Pegasus से जासूसी के मामले में SC का फैसला आज, जांच के लिए कोर्ट बना सकता है कमेटी

इसी साल संसद के मॉनसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 18 जुलाई को भारत समेत दुनिया के कई मीडिया संस्थानों ने खबर छापी थी इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए गए थे।

नई दिल्ली। इजरायली स्पाईवेयर पेगासस से नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की कथित तौर पर निगरानी के मामले में स्वतंत्र जांच की दाखिल हुई अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने की थी। इस मामले में बेंच ने 13 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट आज फैसला सुनाकर इस मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट्स की कमेटी बनाने का आदेश दे सकता है। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा था कि वह ये जानना चाहती है कि क्या मोदी सरकार ने नागरिकों की कथित निगरानी के लिए अवैध तरीके से पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं। कोर्ट के इस सवाल पर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया था। सरकार ने इस मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था।

supreme court

इसी साल संसद के मॉनसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 18 जुलाई को भारत समेत दुनिया के कई मीडिया संस्थानों ने खबर छापी थी इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर से भारत में कथित तौर पर 300 से ज्यादा हस्तियों के फोन हैक किए गए थे। मीडिया संस्थानों का कहना था कि जिन लोगों के फोन टैप किए गए, उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कई पत्रकार भी हैं। पेगासस निगरानी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में 12 अर्जियां दाखिल हुई थीं। ये अर्जियां वकील एमएल शर्मा, सीपीएम के सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन. राम, आईआईएम के प्रोफेसर रहे जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने दाखिल की थीं।

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इस मामले जब केंद्र ने अदालत के कहने पर विस्तृत हलफनामा देने से इनकार किया था, तो चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि सरकार अब तक क्या कर रही थी। हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर नहीं जा रहे। हमारी चिंता लोगों के बारे में है। समिति की नियुक्ति कोई मुद्दा नहीं है। हलफनामे का उद्देश्य है कि हमें पता चले कि आप कर क्या रहे हैं। हमें सुरक्षा से जुड़ी कोई जानकारी नहीं चाहिए। वहीं, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि हमारे सामने याचिका देने वाले हैं। वे स्पाईवेयर के गैरकानूनी इस्तेमाल से अपने हक के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। हम विस्तृत हलफनामे से केवल सरकार का पक्ष जानना चाहते हैं।