newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

PMLA Case Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा ED का हथियार, जानिए क्या है PMLA कानून

PMLA Case Verdict: सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि PMLA कानून में बदलाव जायज है और ईडी की गिरफ्तारी की शक्ति भी बिल्कुल सही है। यानि ईडी के पास जितने भी अधिकार हैं, उन सभी को सुप्रीम कोर्ट ने जायज करार दिया है। शीर्ष अदालत का ये फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि कांग्रेस समेत कुल 242 पक्षों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है जस्टिन एएम खानविलकर, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

नई दिल्ली। पीएमएलए कानून के तहत केंद्रीय जांच एजेंसी ED का एक्शन आए दिन सुर्खियों में रहता है। क्योंकि इसी कानून के बल पर ED किसी को भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत पूछताछ के लिए समन भेज सकती है, आरोपी को हिरासत में ले सकती है और जरूरत पड़ने पर उसे गिरफ्तार भी कर सकती है। ईडी ने हालिया वक्त में इस कानून के तहत बड़े बड़े नामों को अपने शिकंजे में लिया मसलन इसमें कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम भी शामिल है। विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार अपने विरोधियों की आवाज कुचलने के लिए ईडी नाम के पिट्ठू का इस्तेमाल कर रही है। यही वजह रही कि इस कानून के तहत ईडी को मिली शक्तियों और अधिकारों पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ 242 याचिकाएं दायर की गईं थीं लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ईडी को मिले अधिकार को जायज ठहरा दिया।

sonia and rahul gandhi

सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि PMLA कानून में बदलाव जायज है और ईडी की गिरफ्तारी की शक्ति भी बिल्कुल सही है। यानि ईडी के पास जितने भी अधिकार हैं, उन सभी को सुप्रीम कोर्ट ने जायज करार दिया है। शीर्ष अदालत का ये फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि कांग्रेस समेत कुल 242 पक्षों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। जस्टिन एएम खानविलकर, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। लेकिन आपके मन में यहां एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि ये कानून आखिर क्या है, ईडी के पास इसके तहत क्या शक्तियां हैं और दोषी को क्या सजा हो सकती है?

supreme court

असल में, Prevention of Money Laundering Act को साल 2002 में अधिनियमित किया गया था और उसके बाद 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में ही इसे लागू किया गया। इस कानून का मकसद ब्लैक मनी को व्हाइट में कन्वर्ट करने की प्रक्रिया यानि मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम करना है। इसके अलावा अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे हासिल संपत्ति को जब्त करना, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे संबंधित अपराधों को रोकने की कोशिश करना भी इस कानून का उद्देश्य है। पीएमएलए के तहत अपराधों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय जिम्मेदार है।

enforcement directorate

मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी पाए जाने वाले अपराधी के खिलाफ अलग अलग तरह की कार्रवाई हो सकती है। जैसे अपराध के जरिए इकट्ठा की गई संपत्ति को जब्त करना। इसके अलावा कम से कम 3 साल की जेल और जुर्माना भी लग सकता है। अगर मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं, तो जुर्माने के साथ ही 10 साल तक की सजा भी हो सकती है।