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स्वीडन में रह रहे भारतीय वैज्ञानिक का दावा अगले साल तक मिल जाएगी कोरोना की कारगर दवा

स्वीडन में रह रहे भारतीय वैज्ञानिक राम उपाध्याय का मानना है कि कोरोनावायरस की कारगर वैक्सीन और दवा अगले साल की पहली तिमाही तक आ सकती है।

लखनऊ। स्वीडन में रह रहे भारतीय वैज्ञानिक राम उपाध्याय का मानना है कि कोरोनावायरस की कारगर वैक्सीन और दवा अगले साल की पहली तिमाही तक आ सकती है। उनका कहना है कि दवाओं की खोज में लगे वैज्ञानिकों की चिंता इस वायरस के बदलते स्वरूप को लेकर अधिक है।

corona vaccine

आईएएनएस से विशेष वार्ता में उपाध्याय ने कहा कि वैक्सीन तो आ जाएगी लेकिन वह कितने दिन तक कारगर रहेगी और उससे बचाव की अवधि कितनी होगी, इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा अगर वायरस के मौजूदा स्वरूप पर वह कारगर हुई भी तो स्वरूप बदलने पर उसका क्या असर होगा, ये सारे सवाल हैं।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “कोरोना की दवा को लेकर जिस तरह से काम चल रहा है, एक वैज्ञानिक के रूप में उस प्रक्रिया से मैं संतुष्ट नहीं हूं। सबको बाजार में अपनी दवा लाने की जल्दी है। ऐसे में बैक्टीरिया या वायरस के लिए पहले से मौजूद प्रभावी दवाओं में ही कुछ फेर-बदल कर नई दवा लाने की कोशिश इस समय जारी है। ऐसे में मूल शोध पर कम लोगों का ही ध्यान है। ऐसी कुछ दवाएं भी अगले साल के पहले या दूसरी तिमाही में आ सकती हैं। मूल दवा जो वायरस के प्रोटीन और उसके आरएनए को टारगेट करे या वायरस के खोल को नष्ट कर दें, उसके आने में अभी साल-दो साल तक का समय लग सकता है।”

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उन्होंने बताया कि उनका संस्थान अमेरिका की कंपनी ए2ए के साथ मिलकर ऐसी ही दवा विकसित करने में लगी हुई है। वायरस के बदलते स्वरूप के साथ इस दवा के साथ भी चुनौती आएगी पर ऐसा 10 या 20 साल बाद होगा।

कोरोना को लेकर लोगों में व्याप्त डर को दूर करने के बारे में पूछने पर राम उपाध्याय ने कहा कि लोग डरें नहीं, सिस्टम पर भरोसा रखें। रोग को छिपाएं नहीं। सरकार का हर कदम लोगों की सुरक्षा के लिए है।

उन्होंने कहा कि पहले से गंभीर रोगों के नाते जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उम्रदराज लोगों, बच्चों और एनिमिक (खून की कमी) लोगों के लिए खास सतर्कता की जरूरत है। रोजी-रोटी के लिए जिनका बाहर जाना जरूरी है, वे भी घर से कार्यस्थल तक ही खुद को सीमित रखें। सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजेशन और अन्य मानकों का अनुपालन करें। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर आयुर्वेद, होम्योपैथी या एलोपैथी की दवाएं लें। विटामिन सी, डी और बी कॉम्पलेक्स ले सकते हैं।

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उपाध्याय ने कहा कि दुनियाभर की सरकारें, उनके शोध संस्थान, दवा अनुसंधान से जुड़ी कंपनियां और इनसे जुड़े वैज्ञानिक सभी कोरोना से निजात पाने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। समाधान भी निकलेगा। लोगों को इससे घबराने की नहीं, बल्कि सावधान रहने की जरूरत है।

राम उपाध्याय हैदराबाद स्थित लैक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और अमेरिका के ओम ओंकोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक हैं। वह मेडिसिनल केमेस्ट्री में पीएचडी हैं। एक दशक से अधिक समय तक वह स्वीडन (स्टॉकहोम) के उपशाला विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर भी रहे हैं। इसके अलावा वह मैक्स प्लैंक जर्मनी (बर्लिन) और मेडिसिनल रिसर्च काउंसिल ब्रिटेन (लंदन) जैसी नामचीन संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। कई जरूरी दवाओं की खोज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इनमें से करीब 20 दवाएं पेटेंट हो चुकी हैं।

Vaccine trial

अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके दो दर्जन से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। लैक्साई और सीएसआईआर (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्री रिसर्च) से मिलकर वह कोविड की दवा खोजने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।

उपाध्याय मूलत: आगरा के रहने वाले हैं और अमेरिका, यूरोप व स्कैंडिनेवियन देशों में कंपनी के विस्तार के लिए वर्तमान में स्वीडन में रह रहे हैं। यह पूछने पर कि क्या वह अपने प्रदेश के लिए भी कुछ करना चाहते हैं, उन्होंने कहा, “मैं मूलत: मॉलिक्यूलर ओंकोलॉजी का विशेषज्ञ हूं। मेरी इच्छा यूपी में एक ऐसे शोध संस्थान की स्थापना करने की है, जिसमें हर तरह के कैंसर की टारगेटेड थेरेपी की दवाओं पर शोध हो। साथ ही यह संस्थान बैक्टीरिया और वायरस पर भी शोध करे। अभी तो मैं प्लाज्मा आधारित एक ऐसे एयर प्यूरीफायर की यूनिट लगाना चाहता हूं जो तय क्षेत्र में वायरस और बैक्टीरिया को खत्म कर दे।”

BCG Vaccine

इसी विषय पर दूसरे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि “सरकार के जिम्मेदार लोगों से मेरी इस संबंध में सकारात्मक बात भी हो चुकी है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निवेश नीति का कायल हूं। ऐसे में अगर सरकार से सहयोग मिलेगा तो अपने राज्य के लिए जो भी बन पड़ेगा, करूंगा।”