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Ram Setu: कांग्रेस सरकार ने रामसेतु तोड़ने के लिए बनाई थी जो कंपनी, PM मोदी उसे कर रहे बंद, Video में जानिए भगवान राम से कनेक्शन

Ram Setu: भगवान राम का समय भी करीब 5 से 7000 साल पुराना यानी भारतीय मान्यता के मुताबिक त्रेता युग का माना जाता है। एक जानकारी पहले से ही तमाम ओपन डोमेन में मौजूद है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के वक्त तक इस रामसेतु से होकर लोग पैदल ही दक्षिण भारत और श्रीलंका के बीच यातायात करते थे। रामसेतु फिलहाल समुद्र के पानी के नीचे है, लेकिन ये संरचना अंतरिक्ष से भी साफ दिखती है।

नई दिल्ली। हिंदुओं की आस्था पर चोट कर भारत और श्रीलंका के बीच मन्नार की खाड़ी में बने रामसेतु को तोड़कर जहाजों के आने-जाने के लिए राह खोलने की खातिर बनाए गए सेतुसमुद्रम कॉर्पोरेशन लिमिटेड Setusamudram Corporation Limited यानी SCI को भंग करने का फैसला मोदी सरकार ने ले लिया है। इस कंपनी को यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार ने बनाया था। सरकार के रामसेतु को तोड़ने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक में मामला पहुंचा था। तब कांग्रेस के नेता और वकील कपिल सिब्बल ने इस योजना को जारी रखने की जरूरत कोर्ट को बताया था। हंगामा ज्यादा होने पर प्रोजेक्ट को आखिरकार रोकना पड़ा और अब मोदी सरकार ने इसे खत्म करने का फैसला कर लिया।

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इस बीच, दुनियाभर में इस प्रोजेक्ट को लेकर वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ा। वैज्ञानिक और जियोलॉजिस्ट जानना चाहते थे कि आखिर वो दावा कितना सही है कि भगवान राम के जमाने में माता सीता को लंका से मुक्त कराने के लिए समुद्र पर वानरों और रीछों की सेना ने पुल बनाया था। इस बारे में तमाम शोध हुए। ऐसे ही एक शोध की डॉक्यूमेंट्री भी बनी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित हुई। इस डॉक्यूमेंट्री में वैज्ञानिकों के हवाले से जो जानकारी दी गई, वो बहुत चौंकाने वाली है।

डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि जियोलॉजिस्ट्स और वैज्ञानिकों ने जब रामसेतु के बारे में जानकारी जुटाई, तो पता चला कि समुद्र में भारत के रामेश्वरम से श्रीलंका तक बने इस रास्ते में नीचे बालू है और उसके ऊपर पत्थर रखे हैं। बालू के बारे में शोध में पता चला कि ये करीब 4000 साल पुरानी है। जबकि, पत्थर उससे भी पुराने यानी करीब 5000 साल के हैं।

बता दें कि भगवान राम का समय भी करीब 5 से 7000 साल पुराना यानी भारतीय मान्यता के मुताबिक त्रेता युग का माना जाता है। एक जानकारी पहले से ही तमाम ओपन डोमेन में मौजूद है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के वक्त तक इस रामसेतु से होकर लोग पैदल ही दक्षिण भारत और श्रीलंका के बीच यातायात करते थे। रामसेतु फिलहाल समुद्र के पानी के नीचे है, लेकिन ये संरचना अंतरिक्ष से भी साफ दिखती है।