
जयपुर। सचिन पायलट ने एक दिन के अनशन का एलान कर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के साथ ही कांग्रेस आलाकमान की सांस अटका दी है। सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट लगातार वादाखिलाफी से नाराज हैं। वहीं, कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने उनके अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि बताया। निजी तौर पर सचिन को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन इसमें उनको सफलता नहीं मिली। वहीं, राजस्थान विधानसभा में नेता विपक्ष राजेंद्र राठौर ने सचिन पायलट पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सभी 5 बजट सत्र में हिस्सा लिया। 18-19 महीने तक डिप्टी सीएम भी रहे, लेकिन कभी ये मुद्दा नहीं उठाया।
बहरहाल, सचिन पायलट के मामले में कांग्रेस के सामने बड़ी दिक्कत है। पहली बार पार्टी का कोई नेता अपनी ही सरकार और सीएम के खिलाफ अनशन करने जा रहा है। सचिन पायलट के करीबी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने साफ कह दिया है कि अनशन नहीं रुकेगा। पायलट का कहना है कि उनका अनशन वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ है और कांग्रेस लगातार भ्रष्टाचार से लड़ती आई है। साथ ही उन्होंने ये भी साफ कर दिया है कि वो राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा किसी से भी बात नहीं करेंगे। अनशन के बाद सचिन दिल्ली भी जा सकते हैं।
सचिन पायलट लगातार अशोक गहलोत के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। हर बार उनको कांग्रेस आलाकमान से आश्वासन मिला कि सबकुछ ठीक कर देंगे। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सचिन को भरोसा दिलाया था कि दिसंबर 2022 के बाद राजस्थान के मसले का हल निकाला जाएगा। फिर ऐसा नहीं हुआ और वेणुगोपाल ने सचिन का फोन उठाना बंद कर दिया। इससे पहले पिछले साल सितंबर में गहलोत खेमे ने सचिन को सीएम बनाने की कांग्रेस आलाकमान की किसी भी कोशिश के खिलाफ आवाज उठाई थी और बागी तेवर अपनाए थे। इनपर कांग्रेस ने कोई कार्रवाई भी नहीं की। उल्टे गहलोत भी सचिन को गद्दार, बड़ा कोरोना और नालायक कहते रहे। जाहिर है, इन्हीं सब वजहों से सचिन पायलट को अनशन का ये आखिरी दांव चलना पड़ा है।