नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस में आज के बाद एक बार फिर उठापटक तेज होने के आसार हैं। इसकी वजह ‘नोटिस’ है। ये कारण बताओ नोटिस कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीएम अशोक गहलोत के करीबी और शहरी विकास और आवास मंत्री शांति धारीवाल, जलापूर्ति मंत्री महेश जोशी और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को दिए थे। 27 सितंबर को दिए नोटिस में लिखा गया था कि 10 दिन में जवाब दें। यानी इसकी समयसीमा आज खत्म हो रही है। जबकि, तीनों ही गहलोत समर्थक नेताओं ने कारण बताओ नोटिस का जवाब अब तक नहीं दिया है।
शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ ने 25 सितंबर को कांग्रेस के पर्यवेक्षकों अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से बुलाई गई विधायक दल की बैठक से अलग बैठक बुलाई थी। इस बैठक में तीनों ने 100 के करीब विधायकों का समर्थन गहलोत के पक्ष में दिखाया था। इसके बाद सभी गहलोत समर्थक विधायकों को बस में बिठाकर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास ले जाकर सामूहिक इस्तीफा दिलाया था। गहलोत समर्थक इन विधायकों ने मांग की है कि अगर राजस्थान में नया सीएम बनाया जाए, तो ये पद किसी सूरत में सचिन पायलट को नहीं दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि सचिन ने 2020 में बगावत कर राजस्थान में कांग्रेस सरकार को संकट में डाला था। उस वक्त जिन विधायकों ने सरकार बचाई, उनमें से किसी को सीएम बनाया जाना चाहिए।
अब तक नेताओं ने कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया है, लेकिन अगर वे जवाब देते हैं, तो उससे भी नया बखेड़ा खड़ा हो सकता है। शांति धारीवाल साफ कह चुके हैं कि नोटिस के जवाब में वो हर बात रखेंगे। ऐसी ही बात मंत्री महेश जोशी ने भी कही थी। अशोक गहलोत इस मामले में सोनिया गांधी से माफी मांग चुके हैं, लेकिन वो भी सचिन पायलट को राजस्थान के सीएम की कुर्सी दिए जाने के खिलाफ हैं। ऐसे में उनके समर्थक तीनों नेताओं की तरफ से जवाब न दिया जाना कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार को एक तरह से चुनौती ही है। अब देखना ये है कि तीनों गहलोत समर्थक जवाब देते हैं या कांग्रेस आलाकमान उनपर कार्रवाई करता है।