
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के फैसले की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट अहम फैसला सुनाने वाला है। ज्ञात हो कि 5 अगस्त 2019 में संसद ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था साथ ही राज्य को 2 अलग-अलग हिस्सों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया और दोनों ही राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। संसद के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिका दायर की गई थी। सभी याचिकाओं को बारी-बारी सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर के महीने में इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था और इस मामले पर फैसला सुनाने के लिए आज की तारीख मुकर्रर की थी। यानी कि धारा 370 हटने के 4 साल, 4 महीने, 6 दिन बाद आज सुप्रीम कोर्ट यह फैसला सुनाएगा कि केंद्र सरकार का फैसला सही था या गलत?
“Today’s decision will written in golden letters”: JKPC leader Sunil Dimple on SC’s verdict on Article 370 today
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— ANI Digital (@ani_digital) December 11, 2023
#WATCH | “We expect the verdict to be according to the Constitution of the country,” says J&K Awami National Conference leader Muzaffar Ahmed, ahead of the SC verdict on petitions challenging the abrogation of Article 370 in J&K. pic.twitter.com/kMMtsYJjnV
— ANI (@ANI) December 11, 2023
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। उच्चतम न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
#WATCH | “We are hopeful that the decision will be in the favour of people of Jammu & Kashmir…We are in favour of peace,” says National Conference MP Hasnain Masoodi.
Supreme Court will pronounce judgement on the batch of petitions challenging the abrogation of Article 370 in… pic.twitter.com/bGeiABxmxG
— ANI (@ANI) December 11, 2023
पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा पूछे गए प्रश्न:
- क्या अनुच्छेद 370 संविधान में स्थायी प्रावधान बन गया?
- यदि यह एक स्थायी प्रावधान बन जाता है तो क्या संसद के पास अनुच्छेद 370 में संशोधन करने की शक्ति है?
- क्या संसद के पास राज्य सूची के किसी आइटम पर कानून बनाने की कोई ताकत नहीं है?
- केंद्र शासित प्रदेश कब तक अस्तित्व में रह सकता है?
- संविधान सभा की अनुपस्थिति में धारा 370 को हटाने की सिफारिश कौन कर सकता है?
याचिकाकर्ताओं के तर्क
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370, जिसे शुरू में अस्थायी माना गया था, वो जम्मू कश्मीर की संविधान सभा के विघटन के बाद स्थायी हो गया था। उन्होंने ये भी तर्क दिया कि संसद के पास आर्टिकल 370 को खत्म करने के लिए खुद को जम्मू कश्मीर की विधायिका घोषित करने का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने आर्टिकल 370 के क्लाउज 3 का जिक्र करते हुए कहा कि इसे हटाने के लिए संविधान सभा की सिफारिश महत्वपूर्ण थी। बिना संविधान सभा की मंजूरी के इसे निरस्त नहीं किया जा सकता।
#WATCH | J&K: Security heightened in Srinagar ahead of the Supreme Court’s verdict on the batch of petitions challenging the abrogation of Article 370 in Jammu and Kashmir. pic.twitter.com/yfMNBwAK8v
— ANI (@ANI) December 11, 2023
केंद्र ने अपने बचाव में क्या कहा?
वहीं इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार ने कहा कि आर्टिकल 370 को खत्म करना कोई संवैधानिक फ्रॉड नहीं था। कानूनी दायरे में रहकर ही इसे हटाया गया था। केंद्र ने तर्क दिया कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय अन्य रियासतों की तरह एक प्रक्रिया से हुआ था। केंद्र सरकार ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति अस्थायी है और वह राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान सरकार ने हिंसा में गिरावट का हवाला दिया और कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां सकारात्मक परिवर्तन हुआ है।
#WATCH | J&K: Security heightened in Srinagar ahead of the Supreme Court’s verdict on the batch of petitions challenging the abrogation of Article 370 in Jammu and Kashmir.
(Visuals from Gupkar Road in Srinagar) pic.twitter.com/HsNbJOOv3W
— ANI (@ANI) December 11, 2023
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 पर फैसले के मद्देनजर जम्मू कश्मीर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस प्रशासन अपनी ओर से कोई कमीं नहीं रखना चाहता। जम्मू कश्मीर में हर तरफ सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं। असामाजिक गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखी जा रही है ताकी हालात न बिगड़े। अब बस सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।