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Maharashtra Crisis: अभी उद्धव से शिवसेना का सिंबल नहीं हथिया सकते एकनाथ शिंदे, Points में जानिए कहां फंसा पेच

एकनाथ शिंदे बयान देकर कह चुके हैं कि वो ही असली शिवसेना हैं। जबकि, उद्धव के पास अभी पार्टी का सिंबल है। अब आपको प्वॉइंट्स में बताते हैं कि शिवसेना के चुनाव चिन्ह की ये जंग कहां तक जा सकती है। यहां आपको हम बता रहे हैं कि सिंबल के लिए जंग चली, तो उसमें किसका पलड़ा भारी रहने की उम्मीद है।

मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के भीतर विवाद उपजने के बाद अब उसके चुनाव चिन्ह को लेकर भी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच टकराव होने के पूरे आसार हैं। एकनाथ शिंदे बयान देकर कह चुके हैं कि वो ही असली शिवसेना हैं। जबकि, उद्धव के पास अभी पार्टी का सिंबल है। अब आपको प्वॉइंट्स में बताते हैं कि शिवसेना के चुनाव चिन्ह की ये जंग कहां तक जा सकती है और क्या एकनाथ शिंदे का इस पर दावा मजबूत है…

-चुनाव चिन्ह किसका है, ये फैसला चुनाव आयोग ‘द इलेक्शन सिंबल्स (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर 1968’ के तहत लेता है।

-इस ऑर्डर के पैराग्राफ 15 में चुनाव चिन्ह देने या उसे किसी और को हस्तांतरित करने के नियम लिखे हैं।

-आयोग में जब चुनाव चिन्ह का विवाद पहुंचता है, तो आयोग पार्टी में लंबवत बंटवारे को देखता है। यानी विधायकों-सांसदों की संख्या और संगठन के नेताओं की संख्या में कौन मजबूत है, ये देखा जाता है।

-चुनाव आयोग बंटवारे के लिए पार्टी की कमेटियों वगैरा की लिस्ट दोनों पक्षों से मांगता है और इसमें दोनों पक्षों के समर्थकों के साइन भी होने चाहिए।

election commission

-अगर चुनाव आयोग संतुष्ट न हो, तो वो पार्टी के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर देता है और फिर सभी पक्षों को नए नाम और चुनाव चिन्ह फैसला लेने तक आवंटित करता है।

-शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे के साथ अभी 40 विधायकों का समर्थन है। कुछ सांसदों के भी साथ होने की बात कही जा रही है। फिर भी अभी उनके पास पार्टी के पदाधिकारियों का बहुमत नहीं है।

-शिंदे को अभी शिवसेना के उप नेता, महासचिव, प्रवक्ता, सांसद, विधान परिषद सदस्य, मेयर और डिप्टी मेयर के अलावा युवा संगठन, महिला संगठन समेत सभी इकाइयों का समर्थन चाहिए। कुल मिलाकर ये समर्थन आधे से ज्यादा होने की जरूरत है।

-यानी फिलहाल चुनाव चिन्ह गंवाने का संकट उद्धव ठाकरे को नहीं है। अभी संगठन के तमाम नेता उनके साथ खड़े हैं। अगर वो आगे चलकर भी पदाधिकारियों को अपने साथ रख सके, तो शिंदे को मुंह की खानी पड़ सकती है।

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