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Save Water: पानी के प्रबंधन और संरक्षण पर योगी सरकार सख्त, घर से लेकर खेतों तक होगी निगरानी

Uttar Pradesh: प्रदेश का स्थापना दिवस 24 जनवरी को है। इसी दिन सूबे को नई जल नीति मिल जाएगी। नई नीति में घर से लेकर खेत तक और औद्योगिक इकाइयों तक पानी के खर्च की निगरानी और संरक्षण के नियम तय होंगे। यह कहना है प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ सिंह का।

गोरखपुर। प्रदेश का स्थापना दिवस 24 जनवरी को है। इसी दिन सूबे को नई जल नीति मिल जाएगी। नई नीति में घर से लेकर खेत तक और औद्योगिक इकाइयों तक पानी के खर्च की निगरानी और संरक्षण के नियम तय होंगे। यह कहना है प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ सिंह का। वह शुक्रवार को वाटर सेक्टर (जल क्षेत्र) पर आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद रहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पानी का दोहन तेज हुआ है। भूगर्भ जल का करीब 80 फीसदी सिंचाई पर खर्च हो रहा है। इसके अलावा करीब छह फीसदी पानी पीने के उपयोग में आता है। भूगर्भ जल के अनियोजित दोहन से डार्क जोंस तेजी से बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए पानी का प्रबंधन जरूरी है। नई जल नीति में इन सब समस्याओं को शामिल किया गया है। पानी की बचत के लिए अटल भूगर्भ जल योजना सूबे के सभी जिलों में लागू की गई है। इसमें जल संचयन, संवर्धन और संरक्षण शामिल हैं।

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572 ब्लॉकों में गिर रहा है जलस्तर

भूगर्भ जल विभाग के निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने भी तेजी से गिरते जलस्तर पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 572 ब्लॉक में पानी का स्तर गिर रहा है। इसको लेकर विश्व बैंक ने वर्ष 2011 में चिंता जता दी थी। विश्व बैंक ने कहा था कि दो दशक में देश में पानी का स्तर खतरनाक लेवल तक नीचे पहुंच जाएगा। जल संरक्षण के लिए ही सूबे में भूगर्भ जल अधिनियम को लागू किया गया है।

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प्रदूषित हो रहा है सतह का जल

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. गोविंद पांडेय ने बढ़ते जल प्रदूषण पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सतह पर मौजूद जल तेजी से प्रदूषित हो रहा है। इसके कारण जल जनित रोग फैल रहे हैं। कुछ गंभीर रोगों की वजह भी प्रदूषित पानी ही है। शुद्ध जल सबकी जरूरत है। लिहाजा पानी बचाना जरूरी है।