Politics: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस में शुरू हुआ महाभारत, इस नेता ने कर दिया द्रौपदी मुर्मू का समर्थन और पार्टी को दे दी नसीहत

प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। कांग्रेस आलाकमान से उनकी नाराजगी पिछले दिनों उस वक्त सामने आई थी, जब राज्यसभा चुनाव हुए थे। तब कई कांग्रेस नेताओं ने टिकट न मिलने पर ‘तपस्या में कमी’ की बात कही थी। आचार्य प्रमोद ने भी इसमें अपनी राय रखी थी। साथ ही ये भी कहा था कि हिंदू धर्मगुरु होने की वजह से भी टिकट मिलना आसान नहीं होता। त

Avatar Written by: July 14, 2022 10:00 am
acharya pramod krishnam

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होने वाला है। इसमें एनडीए और तमाम दलों ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया है। जबकि, कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का समर्थन एक दौर में बीजेपी के नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को है, लेकिन अब कांग्रेस के भीतर से ही यशवंत सिन्हा के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई है। ये आवाज यूपी में पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रियंका गांधी के सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उठाई है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस बारे में ट्वीट कर कांग्रेस आलाकमान को इतिहास के उदाहरण से नसीहत भी दी है। इससे पहले जब यशवंत सिन्हा का भोपाल में कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम कमलनाथ ने स्वागत किया था, तब भी आचार्य प्रमोद ने लिखा था कि ये नौबत आ गई, अब किसी कांग्रेसी को ही लड़ा देते।

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट में लिखा, ‘पंडित मोतीलाल नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस हमेशा शोषित, वंचित और आदिवासियों के साथ खड़ी रही है। राष्ट्रपति चुनाव में एक आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का विरोध करना मेरे विचार से बिल्कुल उचित नहीं है। पार्टी हाईकमान को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।’ बता दें कि आचार्य प्रमोद कृष्णम हाल के दिनों में पार्टी की गतिविधियों की तमाम ट्वीट्स में मुखालिफत कर चुके हैं। उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के बारे में एक ट्वीट पर तो उनको कांग्रेस के प्रचार विभाग के चीफ और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने चेतावनी भी दी थी।

प्रमोद कृष्णम कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। कांग्रेस आलाकमान से उनकी नाराजगी पिछले दिनों उस वक्त सामने आई थी, जब राज्यसभा चुनाव हुए थे। तब कई कांग्रेस नेताओं ने टिकट न मिलने पर ‘तपस्या में कमी’ की बात कही थी। आचार्य प्रमोद ने भी इसमें अपनी राय रखी थी। साथ ही ये भी कहा था कि हिंदू धर्मगुरु होने की वजह से भी टिकट मिलना आसान नहीं होता। तभी से वो गाहे-बगाहे पार्टी नेतृत्व को घेरते रहते हैं। अब द्रौपदी मुर्मू के मसले पर भी उन्होंने आलाकमान को नसीहत दे दी है।

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