नई दिल्ली। दिल्ली के चांदनी चौक में हनुमान मंदिर तोड़े जाने के मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार से दखल देने की मांग की है। विहिप ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखकर कहा है कि, 1974 में पीपल पेड़ के नीचे, मुख्य चांदनी चैक रोड पर, श्री हनुमानजी स्वयंभू प्रकट हुए। भक्तों ने वहां मंदिर बना दिया। 1975 में श्री दुर्गा जी एवं श्री शंकरजी का मंदिर पीपल पेड़ के दूसरी तरफ बनाया गया। 1974 से सभी के संज्ञान में यह मंदिर है। किसी ने भी आज तक आपत्ति नहीं की। 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय में रिक्शा साईकल चालकों के जीवन निर्वाह के लिए एक रिट याचिका दायर की गई जिसका नाम है मानुषी संगठन बनाम दिल्ली सरकार एवं नंबर है 4572/2007। इस रिट याचिका में चांदनी चैक सर्व व्यापार मंडल ने हस्तक्षेप करके इस मंदिर को एक अवैध निर्माण बतलाते हुए इसे तोड़ने की बात कही।
पत्र में लिखा गया है कि, हाई कोर्ट ने बिना मंदिर को पार्टी बनाये और मंदिर का पक्ष बिना सुने, इस मंदिर को तोड़ने के आदेश दे दिए। मंदिर के पुजारी को सरकार द्वारा बुलाया गया और बोला गया कि मंदिर फुटपाथ पर बना दिया जाए। पंडितजी फुटपाथ पर मंदिर को स्थानांतरित करने के लिए तैयार हो गए। न तो पंडितजी को केस के बारे में बताया गया और न ही 2019 तक उन्हें दुबारा बुलाया गया। वहीं 2019 में Religious Committee ने पंडितजी को बुलाया और कहा कि क्या मंदिर कोई और एरिया में ले जाया जा सकता है क्या। पंडितजी ने और कोई मोहल्ला में जाने से इनकार कर दिया। Religious Committee ने हाई कोर्ट को लिखा कि मंदिर वहीं पर रहने दिया जाए। जिस आर्किटेक्ट ने 2016 और 2018 में अपने प्लान में मंदिर को वहीं रहने देने की सिफारिश की थी, उसने चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के दबाव में आकर कहा की मंदिर हटना चाहिए। कोर्ट ने फैसला कर दिया कि मंदिर हटा दो।
पत्र में कहा गया है कि, दिल्ली सरकार इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट गयी और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार इस बारे में हाई कोर्ट में अपनी एप्लीकेशन लगाए और हाई कोर्ट सुनेगी। 31 अक्टूबर 2020 को पंडितजी के पास मंदिर तोड़ने का नोटिस आया। पहली बार यह मालूम पड़ा कि मंदिर टूटने वाला है, क्योंकि मंदिर या पंडितजी को इसके पहले कभी पार्टी नहीं बनाया गया, और कोई भी मंदिर पक्ष की बात नहीं सुनी गई। 3 नवंबर 2020 को मंदिर सेवा समिति ने हाई कोर्ट में अपनी अर्जी डाली, जिसे 20 नवंबर 2020 को खारिज कर दिया यह कहते हुए कि दिल्ली सरकार हमारे पास आये। चूंकि शुक्रवार को यह फैसला आया, इस फैसले की अपील सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ही डाली जा सकती है। पेड़ को हटाने का निर्देश नहीं है, पर मंदिर तोड़ने के निर्देश दे दिए गए।
दिल्ली सरकार से निवेदन करते हुए VHP ने पत्र में लिखा है कि, “अब मंदिर को तोड़ने के लिए दिल्ली सरकार रविवार 22 नवंबर 2020 को कदम उठाने की बात कर रही है। अतः आपसे निवेदन है कि उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए तुरन्त कार्यवाही करें जिससे मंदिर को बचाया जा सके। आशा और विश्वास के साथ।” बता दें कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा लिखा गया यह पत्र उपराज्यपाल अनिल बैजल व उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर को भी भेजा गया है।