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History: राजीव गांधी सरकार की मेहरबानी से आज ही फरार हुआ था हजारों लोगों का हत्यारा एंडरसन

एंडरसन दिल्ली से अमेरिका भाग गया और कभी लौटकर कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं किया। कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित किया और फरारी में ही 29 सितंबर 2014 को उसकी मौत अमेरिका में हो गई। एंडरसन जब मौत की गोद में गया, तो उसकी उम्र 93 साल थी।

नई दिल्ली। कांग्रेस की सरकारों के दौरान हुए काले कारनामों में से ये कहानी 7 दिसंबर 1984 की है। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। इस सरकार में राजीव गांधी पीएम थे। दो महीने पहले ही उनकी मां और पीएम रहीं इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी। राजीव गांधी को सत्ता संभाले कुछ वक्त ही हुआ था कि 2 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में कहर बरप गया। भोपाल में अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड की एक खाद बनाने वाली फैक्ट्री थी। इस फैक्ट्री से 2 दिसंबर की रात जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस MIC लीक हो गई। जिस टैंक में गैस रखी जाती थी, उसके वाल्व में खराबी से ये हादसा हुआ। सरकार के मुताबिक 3787 लोगों ने गैस रिसाव से जान गंवाई और करीब पौने 6 लाख लोग अपंग हुए। इस कांड के बाद राजीव गांधी सरकार ने जो किया, उसके लिए भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वाले और अन्य पीड़ित अब भी उन्हें कोसते हैं।

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इस कांड ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। गैस रिसाव के वक्त मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार थी। उसके मुखिया अर्जुन सिंह थे। घटना के बाद 6 दिसंबर को यूनियन कार्बाइड का सीईओ वॉरेन एंडरसन अमेरिका से भोपाल पहुंचा था। उसे अर्जुन सिंह की सरकार ने गिरफ्तार भी किया, लेकिन केंद्र से निर्देश मिलने के बाद सरकारी विमान से दिल्ली भेज दिया गया। जहां राजीव गांधी की सरकार ने एंडरसन को छोड़ दिया और वो आराम से विमान में बैठकर भारत से फरार हो गया। इस वजह से राजीव गांधी पर तमाम सवाल उठे और आज भी कांग्रेस पर बीजेपी इसका आरोप लगाती है, लेकिन कांग्रेस ने हमेशा चुप्पी साधे रखी।

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एंडरसन दिल्ली से अमेरिका भाग गया और कभी लौटकर कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं किया। कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित किया और फरारी में ही 29 सितंबर 2014 को उसकी मौत अमेरिका में हो गई। एंडरसन जब मौत की गोद में गया, तो उसकी उम्र 93 साल थी। उसे कभी न्याय के लिए भारत की किसी अदालत के कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सका। हैरत की बात ये है कि वॉरेन एंडरसन की गिरफ्तारी दर्ज की गई, लेकिन राजीव गांधी की सरकार न जाने किस दबाव में आई कि उसे अमेरिका भागने का मौका दिया गया।