
नई दिल्ली। आज इमरजेंसी की 50वीं बरसी है। 25 जून 1975 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने देर रात देश में इमरजेंसी की घोषणा की थी। इमरजेंसी को इंदिरा गांधी ने करीब पौने दो साल तक लगाए रखा। उस दौर को बुजुर्ग अब भी याद करते हैं। जबकि, कांग्रेस को उस इमरजेंसी के कारण अब भी निशाना बनना पड़ता है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इंदिरा गांधी ने 50 साल पहले आज के दिन इमरजेंसी क्यों लगाई थी और उस दौरान क्या हुआ था?

दरअसल, इमरजेंसी की कई वजहें थीं। एक तरफ समाजवादी नेता राजनारायण की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने लोकसभा चुनाव में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल पाए जाने पर इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था। वहीं, छात्रों और विपक्षी दलों का आंदोलन चल रहा था। 25 जून 1975 की शाम तक अटकलें थीं कि इंदिरा गांधी पीएम पद से इस्तीफा दे देंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बताया जाता है कि इंदिरा गांधी को उनके छोटे बेटे संजय गांधी ने कहा कि इस्तीफा नहीं देना चाहिए। इसके बाद 26 जून 1975 की सुबह लोगों को पता चला कि इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी है। अपनी किताब Truth, Love and a Little Malice में संपादक खुशवंत सिंह ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल के तत्कालीन सीएम सिद्धार्थ शंकर राय ने इंदिरा गांधी से कहा कि इमरजेंसी लगानी चाहिए। इसके बाद इमरजेंसी के आदेश पर देर रात तब के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से दस्तखत कराए गए और अगले दिन सुबह कैबिनेट की बैठक बुलाकर इंदिरा गांधी ने मंत्रियों से इस बारे में प्रस्ताव पास कराया।

इमरजेंसी का एलान होने के साथ ही पुलिस की मदद से विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंसना शुरू किया गया। सभी बड़े विपक्षी नेता गिरफ्तार किए जाने लगे। इंदिरा गांधी की सरकार ने इमरजेंसी के तहत अखबारों पर सेंसरशिप लागू की। बिना सरकार की मर्जी के एक भी खबर उस वक्त नहीं छपती थी। सिर्फ रामनाथ गोयनका के अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने बिना डरे इमरजेंसी की इस सेंसरशिप का मुकाबला किया। नाराज इंदिरा सरकार ने इंडियन एक्सप्रेस की बिजली काट दी। फिर भी रामनाथ गोयनका अखबार निकालते रहे। इमरजेंसी के दौरान ही इंदिरा गांधी की सरकार पर जबरन नसबंदी कराने के आरोप लगे। तमाम और आरोपों में भी इंदिरा गांधी की सरकार गिरी। इसके बाद जब चुनाव हुए, तो इंदिरा गांधी की कांग्रेस की घोर पराजय हुई। जनता पार्टी की सरकार बनी, लेकिन आपसी टकराव के कारण जनता पार्टी की सरकार भी गिर गई और फिर जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो इंदिरा गांधी फिर पीएम बनने में सफल हो गईं।