श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो आज रात 9.58 बजे अहम मिशन को लॉन्च करेगा। इसे इसरो ने SPADEX स्पाडेक्स नाम दिया है। इसरो का ये मिशन अगर सफल रहा, तो वो अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश होगा। पीएसएलवी सी-60 रॉकेट के जरिए इसरो स्पेडेक्स यान को लॉन्च करने वाला है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो अपने यान को लॉन्च करेगा। तो आपको हम बताते हैं कि आखिर स्पाडेक्स मिशन इसरो के लिए महत्वपूर्ण क्यों है और भविष्य में भारत के अंतरिक्ष अभियानों में किस तरह ये मिशन अहम भूमिका निभाएगा।
स्पाडेक्स यानी स्पेस डॉकिंग मिशन के तहत इसरो पीएसएलवी के जरिए दो यानों को अंतरिक्ष में लॉन्च करेगा। ये दोनों यान अलग-अलग धरती का चक्कर लगाएंगे। फिर इनको अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा। जब अंतरिक्ष में दोनों यान चक्कर लगाएंगे, तब इनकी गति किसी गोली से 10 गुना ज्यादा होगी। हालांकि, दोनों यानों को जोड़ने के वक्त गति तो इसरो नियंत्रित करेगा। अगर दोनों यान अंतरिक्ष में जुड़ जाते हैं, तो भविष्य के चंद्रयान और स्पेस स्टेशन बनाने में इसरो को अहम फायदा होगा। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही अंतरिक्ष में यानों को जोड़ने और अलग करने की क्षमता दिखा चुके हैं। स्पाडेक्स के यानों के अलावा आज रात होने वाले लॉन्च में पीएसएलवी सी-60 रॉकेट 24 अन्य पे-लोड भी अंतरिक्ष में ले जाने वाला है। ये पे-लोड इसरो के अलावा निजी स्टार्टअप्स और शिक्षण संस्थानों के प्रयोगों का हिस्सा हैं।
स्पाडेक्स मिशन सफल होने पर इसरो के चंद्रयान-4 मिशन के लिए अहम उपलब्धि हासिल होगी। इसरो का इरादा चंद्रयान-4 के जरिए चांद से सैंपल लाने का है। इसके लिए एक यान चांद की कक्षा का चक्कर लगाता रहेगा और दूसरा यान वहां की सतह पर उतरेगा। चांद की सतह पर उतरने वाला यान सैंपल लेकर फिर उड़ान भरेगा और अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे पहले यान से जुड़ने के बाद धरती तक की यात्रा करेगा। इसके अलावा इसरो जब अंतरिक्ष स्टेशन बनाएगा, तब वहां भी स्पेस डॉकिंग तकनीकी का इस्तेमाल होगा। ऐसे में इसरो का आज का स्पाडेक्स मिशन बहुत मायने रखता है।