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PM Modi: कितने फीसद लोग पीएम मोदी के काम से खुश हैं, तो कितने ख़फ़ा..? इस सर्वे ने किया हैरान करने वाला खुलासा

PM Modi: उधर, सर्वे के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। सवाल इस बात को लेकर उठ रहे हैं कि इस बार सत्ता में बीजेपी की ही वापसी होगी? फिलहाल इस पर कुछ भी कह पाना मुश्किल है। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश सर्वाधिक लोकसभा की सीटें हैं, तो ऐसे में सभी सियासी दलों के लिए यह सूबा संदेनशील माना जाता है।

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा सहित उससे पहले विभिन्न राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा। कांग्रेस, बीजेपी या फिर कोई और…? अभी इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है, लेकिन आपको बता दें कि इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है कि आखिर विजयी ताज किसके सिर बंधेगा? हालांकि, बीते दिनों जिस तरह से पूर्वोत्तर के तीनों ईसाई बहुल्य राज्यों में बीजेपी ने कांग्रेस को हार का स्वाद चखाते हुए सत्ता हासिल की है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि सियासी माहौल बीजेपी के पक्ष में है, लेकिन आपको बता दें 2024 के सियासी महादंगल से पहले ABP न्यूज़ ने Matrize के साथ मिलकर एक सर्वे किया है, जिसमें लोगों ने पीएम मोदी के कामकाम को लेकर अपने अनुभव सार्वजनिक किए हैं। आइए, आगे विस्तार से जानते हैं कि देश में कितने फीसद लोग पीएम मोदी के कामकाज से खुश हैं, तो कितने फीसद परेशान?

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ABP न्यूज़ ने Matrize के सर्वे के मुताबिक, 37 फीसद लोगों का मानना है कि केंद्र की मोदी सरकार ने शानदार काम किया है, जबकि 41 फीसद लोगों का कहना है कि सरकार ने संतुष्टिजनक काम किया है। उधर, 22 फीसद ऐसे भी लोग हैं, जिनका कहना है कि सरकार ने अपेक्षा के अनरूप काम नहीं किया है। चलिए, ये तो रहा देश की जनता का समग्र मूड। आइए, आगे जानते हैं कि इसका आगामी सियासी दंगल में क्या असर पड़ सकता है। उधर, सर्वे के बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। सवाल इस बात को लेकर उठ रहे हैं कि इस बार सत्ता में बीजेपी की ही वापसी होगी? फिलहाल इस पर कुछ भी कह पाना मुश्किल है।

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ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक लोकसभा की सीटें हैं, तो ऐसे में सभी सियासी दलों के लिए यह सूबा संवेदनशील माना जाता है। बता दें कि विगत लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने प्रदेश की 72 सीटों पर ताल ठोकी थी, जिसमें पार्टी  62 सीटों पर विजयी पताका फहराने में सफल रही थी। बसपा के खाते में जहां 10 सीटें आई, तो वहीं सपा को सिर्फ पांच सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस को तो प्रदेश में तगड़ा झटका लगा। बीजेपी ने राहुल गांधी की पारंपरिक सीट अमेठी को भी छीन लिया और कांग्रेस महज एक रायबरेली सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी, जहां से सोनिया गांधी ने चुनाव जीता। लेकिन, अधिकांश सीटों पर कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था। ऐसी स्थिति में आगामी लोकसभा चुनाव बीजेपी के परिणाम के लिहाज से कैसा रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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विपक्षी एकता के सहारे पार होगी चुनावी वैतरणी?

ध्यान रहे कि इस बार कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल बीजेपी को मात देने के लिए विपक्षी एकता का सहारा लेकर रहे हैं, लेकिन वर्तमान में जिस तरह की स्थिति कांग्रेस की बनी हुई है, उसे देखते हुए यह कहना कि कांग्रेस को विपक्षी एकता की अगुवाई का मौका मिले, मुश्किल है। बता दें कि कई मौकों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता की कल्पना नहीं की जा सकती है। अब ऐसी स्थिति में केंद्र के खिलाफ मोर्चाबंदी की दिशा में मुख्तलिफ सियासी दलों की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।