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Thackeray’s resignation: मजबूरी ऐसी कि उद्धव ठाकरे को देना पड़ा इस्तीफा, आखिर क्या है महाराष्ट्र के सियासत की असल गणित?

Thackeray’s resignation: यहां पर साफ-साफ नजर आ रहा था कि उद्धव ठाकरे को भलीभांति पता है, महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी तो जा चुकी है, लेकिन अब शिवसेना को बचाना ही उनका पहला काम होगा। यही कारण है कि अपने संबोधन में वो बार-बार बाला साहेब ठाकरे का नाम ले रहे थे। 

नई दिल्ली। बुधवार को महाराष्ट्र की सियासत से जुड़ी सबसे अहम खबर सामने आई। दरअसल, कोर्ट ने साढ़े तीन घंटे की सुनवाई के बाद ये तय किया कि आने वाले कल में फ्लोर टेस्ट होगा और उसके लिए अपना फैसला भी दिया। लेकिन इससे पहले उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। जब उद्धव ठाकरे ने इस्तीफे का ऐलान किया, तो उस दौरान उन्होंने कई बार बाला साहेब ठाकरे का नाम लेते हुए ये कहा कि ‘आप लोगों ने शिवसेना प्रमुख के बेटे को सीएम पद से हटाने की पूरी कोशिश की, अब मैनें सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। अब आप लोगों को खुशी मिल गई होगी।’ यहां पर साफ-साफ नजर आ रहा था कि उद्धव ठाकरे को भलीभांति पता है, महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी तो जा चुकी है, लेकिन अब शिवसेना को बचाना ही उनका पहला काम होगा। यही कारण है कि अपने संबोधन में वो बार-बार बाला साहेब ठाकरे का नाम ले रहे थे।


उद्धव ठाकरे के संबोधन की बड़ी बातें

  1. उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में कहा कि वो फिर से शिवसेना को खड़ा करेंगे।
  2. शिवसेना में कभी भी बगावत नहीं हो सकती है।
  3. कांग्रेस और एनसीपी का धन्यवाद देते हुए ठाकरे ने कहा कि इन दोनों राजनीतिक पार्टियों ने आखिरी दम तक मेरा साथ दिया।
  4. जिन विधायकों को मैंने सब कुछ दिया वो मुझे ही छोड़कर चले गए।


जैसे ही उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने के बाद मुंबई में महाराष्ट्र के बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने संबावित सीएम के के तौर पर देवेंद्र फडणवीस को बधाई दी और इसके लिए उन्होंने जश्न भी बनाया। इसके अलावा अब बाकी विधायकों का भी जल्दी ही मुंबई आने की संभावना है। बुधवार को महाराष्ट्र की सियासत से जुड़ी तीन तस्वीरें देखी गई। इसमें सबसे पहले उद्धव ठाकरे का इस्तीफा देना दूसरा बागी विधायकों के दल गुवाहाटी से गोवा पहुंचना और तीसरा ये कि महाराष्ट्र बीजेपी के कार्यकर्ताओं का जश्न बनाना।


ठाकरे की मजबूरी

बीते 21 जून 2022 से लगातार महाराष्ट्र की सियासत पर सबकी नजरें थी। ऐसे में सबसे ज्यादा सवाल ये उठ रहे थे कि क्या महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बना लेगी? क्या उद्धव ठाकरे अपनी सरकार बचा लेंगे? हालांकि उद्धव ठाकरे ने सरकार बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहे। इस दौरान एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने लगातार बाकी तेवर अपनाएं हुए थे और इस दौरान इनका संख्या बल भी बढ़ता ही चला गया। पहले सूरत और फिर गुवाहाटी के होटलों में पहुंच कर महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को पस्त करने के दावें और ज्यादा मजबूत होने लग गए थे। ऐसे में बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों को इसकी भनक लग गई कि उद्धव सरकार अल्प मत में आ चुकी है। शिंदे गुट के विधायकों का इस मामले में कहना है कि उद्धव ठाकरे ने उनके ही विधायको से दूरी बना ली थी और इसके बाद ही ये नराजगी  देखने को मिली है।