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Covid-19 Vaccination: भारत में क्यों नहीं आ पाई विदेशी COVID-19 वैक्सीन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पहली बार किया बड़ा खुलासा, बताया कैसे किया जा रहा था ब्लैकमेल 

Covid-19 Vaccination: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार विदेशी वैक्सीन के देश में न आ पाने का बेहद सटीक और विस्तृत जवाब दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के इस जवाब के बाद ज़ाहिर हो गया है कि मॉडर्ना और फाइज़र जैसी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने किस तरह से भारत को अपने फायदे के लिए ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी।

नई दिल्ली। नवंबर 2021 का वो समय जब भारत में कोरोना वायरस की पहली लहर पीक पर थी। हर दिन के साथ करीब 1 लाख मामले सामने आ रहे थे। इस दौरान देश में विदेशी COVID-19 वैक्सीन मॉडर्ना और फाइज़र आने वाली थी जो अब तक नहीं आ पाई है। इन विदेशी वैक्सीन के देश में न आ पाने की वजह से कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार विदेशी वैक्सीन के देश में न आ पाने का बेहद सटीक और विस्तृत जवाब दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के इस जवाब के बाद ज़ाहिर हो गया है कि मॉडर्ना और फाइज़र जैसी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों ने किस तरह से भारत को अपने फायदे के लिए ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी।

mansukh mandviya..

दरअसल, लेखिका प्रियम गांधी मोदी द्वारा लिखी गई ‘A Nation To Protect- Leading India Through The Covid Crisis’ नाम की किताब के लॉन्च के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री से इस बारे में सवाल किया गया कि ‘विदेशी वैक्सीन भारत में क्यों नहीं आ पाई?, अब तक सरकार इस पर केवल कूटनीतिक जवाब ही देती आई है’, जिसपर स्वास्थ्य मंत्री ने साफ जवाब देते हुए बताया कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि ये नया भारत है जो अपनी शर्तों पर चलता है। हमें विदेशी कंपनियों के सामने झुकना मंज़ूर नहीं था ऐसे में हमने अपनी वैक्सीन बना ली। इसके आगे मनसुख मंडाविया ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि अपने फायदे के लिए विदेशी कंपनियों ने ऐसी शर्तें रखीं थी जिनका कोई महत्व नहीं था। वो एक तरह से ब्लैकमेल किया जाना था।

विदेशी कंपनियों ने रखीं थी ये शर्तें

मनसुख मंडाविया ने बताया था कि अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने भारत सरकार के सामने शर्त रखी कि वो वैक्सीन बेचेगी और इसके लिए उसने कई शर्तें रखीं थी। मॉडर्ना ने Indemnity Against Liability Clause रखा था यानी कि उनकी वैक्सीन की वजह से अगर किसी को कोई साइड इफेक्ट हो जाता है या फिर वैक्सीन की वजह से किसी की मौत हो जाती है तो कंपनी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। इसी तरह फाइज़र कंपनी ने शर्त थी कि उन्हें Sovereign Immunity Waiver मिले यानी इसका मतलब ये है कि भारत के कानून के तहत कंपनी पर कोई केस नहीं चलाया जा सकेगा।

वैक्सीन बेचने के नाम पर देशों का किया शोषण 

मनसुख मंडाविया ने बताया था कि इन कंपनियों ने वैक्सीन बेचने के नाम पर कई देशों का शोषण किया। अर्जेंटीना की सरकार से फाइजर कंपनी ने कहा था कि अगर उन्हें कोरोना की वैक्सीन चाहिए तो वो उन्हें ऐसा इंश्‍योरेंस यानी बीमा खरीदे जो वैक्सीन लगाने पर किसी व्यक्ति को हुए नुकसान की स्थिति में कंपनी को बचाए। अगर वैक्‍सीन का कोई साइड इफेक्‍ट होता है तो कंपनी को किसी तरह का कोई पैसा मरीजों को न देना पड़े बल्कि बीमा कंपनी दें। सरकार की ओर से जब ये शर्त मान ली गई तो फाइजर ने वैक्सीन के लिए नई शर्त रख दी। अपनी नई शर्त में कंपनी ने कहा कि इंटरनेशनल बैंक में कंपनी के नाम से पैसा रिजर्व करे। देश की राजधानी में एक मिलिट्री बेस बनाए जिसमें दवाओं को सुरक्षित रखा जाए। एक दूतावास बनाया जाए जिसमें कंपनी के कर्मचारियों को रहने की सुविधा हो ताकि उनपर देश के कानून लागू न हों।

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ब्राजील के साथ भी ऐसी ही तीन मुश्किल शर्तें

फाइजर कंपनी ने ब्राजील के साथ भी ऐसी ही तीन मुश्किल शर्तें रखी थी। पहली शर्त, वैक्सीन का पैसा बैंक के इंटरनेशनल अकाउंट में जमा हो, दूसरा ये कि साइड इफेक्‍ट्स होने पर कंपनी के ऊपर मुकदमा नहीं चले और तीसरी कि ब्राजील अपनी सरकारी संपत्तियां कंपनी के पास गारंटी की तरह रखे। जिससे भविष्य में अगर वैक्सीन को लेकर कोई कानूनी विवाद होता है तो कंपनी इन संपत्तियों को बेच कर उसके लिए पैसा जमा कर सके।