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Game Of Politics: राहुल-प्रियंका से की थी मुलाकात, अब कांग्रेस के लिए इस वजह से विलेन माने जा रहे हैं प्रशांत किशोर

Game Of Politics: पीके ने बताया था कि एक तिहाई लोग बीजेपी को वोट देते हैं, लेकिन दो तिहाई लोगों का वोट बंटा हुआ है। बहरहाल, पिछले दिनों गोवा के पूर्व सीएम और 40 साल से राजनीति कर रहे लुइजिन्हो फलेरो को प्रशांत किशोर ने ही ममता दीदी के पाले में पहुंचा दिया।

नई दिल्ली। कुछ महीनों पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर जब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मिले थे, तो कयास लग रहे थे कि वह कांग्रेस का दामन थामेंगे। कांग्रेस के खेमे में प्रशांत किशोर उर्फ पीके गए तो नहीं, बल्कि अब उसके लिए विलेन के समान हो चुके हैं। पीके आखिर कांग्रेस के लिए विलेन क्यों बने ? इस सवाल का सीधा जवाब है टीएमसी की सुप्रीमो ममता बनर्जी। सभी को पता है कि प्रशांत किशोर ने 2014 में केंद्र में मोदी सरकार लाने के लिए कितनी मेहनत की थी। उसके बाद बीजेपी से पटरी नहीं बैठी, तो वह तब बीजेपी से नाराज चल रहे जेडीयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ गलबहियां करने लगे। बिहार में उन्हें मंत्री का दर्जा भी मिल गया। फिर नीतीश बीजेपी के साथ आए, तो पीके ने उनसे पीछा छुड़ा लिया और पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के सलाहकार बनकर कैबिनेट मंत्री का ओहदा ले लिया। फिर बारी आई राहुल और प्रियंका से मुलाकात की। इसी मुलाकात के बाद कैप्टन अमरिंदर से विदा लेकर प्रशांत किशोर ममता दीदी के साथ जुड़ गए। और यहीं से कांग्रेस के लिए उनके विलेन बनने की शुरुआत हो गई।

गोवा में बीते अक्टूबर में उन्होंने ये कहकर विपक्ष को हैसियत दिखा दी कि अभी बीजेपी कम से कम 15-20 साल कहीं नहीं जाने वाली। प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि राहुल गांधी या कांग्रेस के नेता समझते हैं कि लोगों की मदद से बीजेपी को उखाड़ फेंकेंगे, लेकिन ऐसा संभव नहीं है। पीके ने बताया था कि एक तिहाई लोग बीजेपी को वोट देते हैं, लेकिन दो तिहाई लोगों का वोट बंटा हुआ है। बहरहाल, पिछले दिनों गोवा के पूर्व सीएम और 40 साल से राजनीति कर रहे लुइजिन्हो फलेरो को प्रशांत किशोर ने ही ममता दीदी के पाले में पहुंचा दिया।

Political strategist Prashant Kishor

दरअसल, आजकल प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक गोवा में सर्वे कर रही है। इस सर्वे के दौरान ही पीके की टीम को पता चला कि लुइजिन्हो कांग्रेस आलाकमान से नाराज हैं। बस यही मौका पीके को चाहिए था। वो खुद लुइजिन्हो से मिले और फिर उन्हें ममता के पाले में घसीट लाए। गोवा में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले फलेरो जैसे नेता को कांग्रेस से तोड़कर देश की सबसे पुरानी पार्टी को पीके ने तगड़ा झटका दिया है। इसके अलावा माना ये भी जा रहा है कि हाल के दिनों में कीर्ति आजाद और कांग्रेस के जो अन्य नेता टीएमसी में शामिल हुए हैं, उन्हें भी प्रशांत किशोर ने ही ऐसा करने के लिए मोटिवेट किया। तो आप खुद सोचिए आखिर कांग्रेस उन्हें विलेन क्यों न माने।