जम्मू। जम्मू-कश्मीर में तमाम आतंकी घटनाओं में शामिल रहा और बीते दिनों टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाला जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट JKLF का चीफ यासीन मलिक एक और सजा के डर से नई पैंतरेबाजी पर उतर आया है। वो जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और केंद्र में गृहमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद को अगवा किए जाने के केस में खुद पेश होने और गवाहों से जिरह करने की मंजूरी मांग रहा है। मलिक ने ब्लैकमेलिंग स्टाइल अपनाते हुए कहा है कि ये मंजूरी न मिली, तो वो अनिश्चित काल के लिए भूख हड़ताल करेगा। फिलहाल यासीन सजायाफ्ता होकर दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।
रूबिया सईद मामले में यासीन मलिक जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुआ। उसने बताया कि खुद प्रत्यक्ष तौर पर पेश होने के लिए उसने सरकार को चिट्ठी लिखी है। उसने कोर्ट को बताया कि वो इस मामले में गवाहों से खुद जिरह करना चाहता है। बता दें कि रूबिया सईद का 8 दिसंबर 1989 को अपहरण हुआ था। तब केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी और जेकेएलएफ के 5 आतंकियों को रिहा करने के बाद 13 दिसंबर को रूबिया को भी छोड़ दिया गया था। टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को 2019 में जब एनआईए ने गिरफ्तार किया, तो उस पर इस मामले में भी केस चलने लगा। सीबीआई ने यासीन समेत 10 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया है। इनके नाम अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमान मीर, इकबार अहमद गंद्रू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराजउद्दीन शेख और शौकत बख्शी हैं।
इनमें से अली मोहम्मद मीर, जमान मीर और इकबाल अहमद गंद्रू ने मजिस्ट्रेट के सामने खुद कबूला कि रूबिया को अगवा करने के मामले में वे और यासीन मलिक शामिल थे। ऐसा ही बयान चार अन्य आरोपियों ने सीबीआई के सामने भी दिया था। कोर्ट ने इस पर जनवरी 2021 में कहा था कि इन बयानों को यासीन और अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके बाद ही अब यासीन मलिक ने नया पैंतरा अपनाया है। उसे इस मामले में भी जेल की लंबी सजा हो सकती है।