नई दिल्ली। इंडिया गठबंधन के लिए यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से ज्यादातर पर जीत बहुत जरूरी हैं, लेकिन यहां कांग्रेस और क्षेत्रीय क्षत्रप यानी समाजवादी पार्टी के बीच सीटों के बंटवारे का अहम सवाल अभी हल नहीं हो सका है। बुधवार को सपा के महासचिव रामगोपाल यादव, सांसद जावेद अली, विधायक लालजी वर्मा, संग्राम सिंह और अन्य नेताओं ने दिल्ली में कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद, अशोक गहलोत, आराधना मिश्रा मोना, यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और मोहन प्रकाश से लंबी बातचीत की, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी।
बैठक के बाद सलमान खुर्शीद ने अहम बयान दिया। खुर्शीद ने कहा कि अभी सपा नेताओं से एक और बैठक होगी। अगर सीटों के बंटवारे पर फैसला न हुआ, तो राहुल गांधी या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बात करेंगे। वहीं, सपा की तरफ से रामगोपाल यादव का बयान आया कि आधा रास्ता तय हुआ है। आधा अभी बाकी है। दरअसल, यूपी में कांग्रेस को सपा कम सीटें देना चाहती है। इनमें अमेठी और रायबरेली भी हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ज्यादा सीटों का हिस्सा यूपी में सपा से चाहती है। जबकि, सपा नेतृत्व का कहना है कि जमीन पर उनकी पार्टी मजबूत है और कांग्रेस की दयनीय हालत सबको पता है।
उधर, अखिलेश यादव ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में ये अहम बात कही कि कांग्रेस तो उनको किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाती। ऐसे में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जब यूपी पहुंचेगी, तो देखने वाली बात ये होगी कि उसमें अखिलेश यादव शामिल होते हैं या नहीं। हालांकि, अखिलेश यादव ने चैनल के कार्यक्रम में ये जरूर कहा कि मुलायम सिंह यादव के जमाने से अमेठी और रायबरेली में सपा ने कभी प्रत्याशी नहीं दिया और इस बार के लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही होगा। फिर भी अखिलेश ये कहने से बचते दिखे कि कांग्रेस को वो यूपी की कितनी लोकसभा सीटें देना चाहते हैं। इस वजह से फिलहाल यूपी के मैदान में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तालमेल पर अभी शंका उठ रही है। अब सबकी नजर इस पर है कि क्या राहुल गांधी की तरफ से मसले को सुलझाने के वास्ते अखिलेश यादव से बात की जाती है, या दोनों दल अपनी अलग-अलग राह चुनते हैं।