
नई दिल्ली। कांग्रेस आलाकमान के चुप्पी वाले रुख से राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट को तगड़ा झटका लगा है। सचिन पायलट और उनके करीबी नेता सीएम पद से अशोक गहलोत को हटाने के लिए तमाम कोशिश कर चुके। सचिन पायलट ने दिल्ली से लेकर भारत जोड़ा यात्रा तक सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से कई बार मुलाकात तक कर ली, लेकिन अशोक गहलोत को पद से हटा पाने में नाकाम रहे। अब राजस्थान में कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में फिलहाल ये साफ हो गया है कि अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी की जंग में पटकनी दे दी है।
ये हाल तब है, जबकि खुद राहुल गांधी ने सचिन पायलट की तारीफ की थी। उनको पार्टी के लिए एसेट भी बताया था। सचिन पायलट और उनके खेमे को उम्मीद थी कि राहुल के ऐसे बयान के बाद अब अशोक गहलोत को जल्दी ही राजस्थान के सीएम पद से हटा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में अब सबकी नजर इस पर है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सचिन पायलट क्या कोई आखिरी दांव चलेंगे? अगर पायलट बड़ा दांव चलते हैं, तो इससे कांग्रेस के सामने दिक्कत खड़ी हो सकती है।
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच 2020 से मतभेद सामने आए थे। तब सचिन पायलट अपने कुछ साथी विधायकों के साथ दिल्ली पहुंचे थे और वहां खेमा लगा लिया था। बड़ी मुश्किल से कांग्रेस आलाकमान ने मसले को सुलझाया। इसके बाद बीते साल सितंबर में कांग्रेस आलाकमान के दूत अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे जयपुर पहुंचे थे। माना जा रहा था कि वो गहलोत को हटाकर सचिन पायलट की सीएम पद पर ताजपोशी कराएंगे, लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने बागी तेवर अपना लिए। उन्होंने साफ कर दिया कि किसी सूरत में सचिन पायलट को सीएम नहीं बनने देंगे। अशोक गहलोत खुद कई बार सचिन पायलट के लिए गद्दार और कोरोना जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। सचिन को उम्मीद रही होगी कि ऐसे में गहलोत पर कार्रवाई होगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। बता दें कि पिछले राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान सचिन पायलट राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस को बहुमत मिला था।