newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Farm laws repeal: मोदी सरकार के इस कदम से पाकिस्तान के खालिस्तानी मंसूबों पर फिरा पानी

Farm laws repeal: किसान आंदोलन की आड़ में एक बार फिर खालिस्तानी आतंकी संगठन के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सोशल मीडिया के जरिए किसानों को भड़काने की साजिश रची थीं। उसने पंजाब, कश्मीर, पश्चिम बंगाल, असम और महाराष्ट्र का भारत से अलग होना ही कृषि कानूनों को रद्द करवाने का एकमात्र उपाय बताया था।

”कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ़ कर दिया की किसानों के नाम पर बाहरी ताक़तों को देश में घुसपैठ का मौक़ा नहीं दिया जाएगा। सही मायने में पीएम मोदी ने आंदोलन के नाम पर देश में आग लगाने वाली ताक़तों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। पीएम मोदी ने आज कहा कि “जो कर रहा हूं देश के लिए कर रहा हूं।” जब से भारत में किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था, तभी से पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई इसके बहाने भारत विरोधी ताक़तों को एकजुट करने की साज़िश बुनने लगी थी। दरअसल, किसान आंदोलन के बहाने आईएसआई का मंसूबा भारत में हिंसा और तनाव, पंजाब में अशांति, हिंदू और सिख के बीच तनाव पैदा करना और खालिस्तान मूवमेंट को फिर से खड़ा करना था।

PM MODI

किसानों आन्दोलन की आग में खालिस्तान का घी:

सरकार के पास इस बात के इनपुट थे कि राष्ट्रविरोधी ताकतें किसानों के आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश में हैं। इस तरह की ताक़तों को खालिस्तान और पाकिस्तान के आईएसआई नेटवर्क का सपोर्ट मिल रहा था। किसान आंदोलन की आड़ में एक बार फिर खालिस्तानी आतंकी संगठन के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सोशल मीडिया के जरिए किसानों को भड़काने की साजिश रची थीं। उसने पंजाब, कश्मीर, पश्चिम बंगाल, असम और महाराष्ट्र का भारत से अलग होना ही कृषि कानूनों को रद्द करवाने का एकमात्र उपाय बताया था।

Red Fort

इस साल 26 जनवरी को लालक़िले में किसान आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था। सिख फॉर जस्टिस संगठन के संचालक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने किसान आंदोलन को भड़काने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी। लालकिला की घटना, लखीमपुर खीरी कांड और किसान आंदोलन स्थलों पर हुई वारदातों में इस संगठन ने जलती आग में घी डालने का काम किया है।

पन्नू ने अपने वीडियो संदेशों में गैर कानूनी काम कराने के लिए युवाओं को नकद इनाम देने की बात कही है। करतारपुर साहिब में खालिस्तान के पक्ष में पोस्टर लगाए गए थे। यहां तक कि पाकिस्तान ने अलगाववादी सिख नेताओं को वहां पहुंचने के लिए बुलावा भेजा था। खालिस्तानी आतंकी संगठन के चीफ पन्नू ने सोशल मीडिया के जरिए हजारों की संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली में लाकर परेड करने का आह्वान किया था और प्रदर्शनकारी किसानों को मोदी सरकार के खिलाफ उकसाया जा रहा था।

gurpatwant singh pannu

‘भारत में हिंसा भड़काना है KCF का मकसद’:

इसी साल फ़रवरी में खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, यूके और बेल्जियम में बैठे खालिस्‍तान कमांडो फोर्स (KCF) के साजिशकर्ता दिल्‍ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे एक क‍िसान नेता की हत्या कराना चाहते हैं। इस नेता की हत्या से आन्दोलन हिंसक रूप ले लेगा। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट क़े मुताबिक़-‘इसका भरोसेमंद इनपुट मिला है कि किसान आन्दोलन के दौरान एक किसान नेता की हत्‍या की साजिश का प्‍लान था। पता चला है कि KCF के तीन आतंकियों, जो बेल्जियम और यूके से हैं, ने दिल्‍ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे एक किसान की हत्‍या करने की योजना बनाई है। इनपुट के अनुसार, यह किसान नेता पंजाब में KCF कैडर के खात्‍मे में कथित रूप से शामिल था। एजेंसियों को मिली जानकारी यह भी बताती है कि KCF ने सोचा था कि ‘इस वक्‍त किसान नेता की हत्‍या से भारत में हिंसा बढ़ेगी और हत्‍या का ठीकरा भी सरकारी एजेंसियों या किसी राजनीतिक पार्टी पर फोड़ा जाएगा।’

खालिस्तानी मूवमेंट को ज़िंदा करने की साज़िश:

आईएसआई और खालिस्तान नेटवर्क किसान आन्दोलन के नाम पर पंजाब में अशांति पैदा करने की साज़िश रच रहे थे। किसान आन्दोलन के दुष्प्रचार के ज़रिये पंजाब के युवाओं का ब्रेनवाश करके खालिस्तानी मूवमेंट को फिर से खड़ा करने की तैयारी थी। किसान आन्दोलन के नाम पर पंजाब में हिन्दू-सिख समुदाय के बीच भी तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही थी। पिछले महीने पंजाब से इस तरह की कई खबरें सुनने को मिलीं थीं।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर नज़र रखने वाले जानकारों की राय में, भले भी पीएम मोदी के इस फ़ैसले पर वाद-विवाद हो सकता है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं की, इस फ़ैसले से देश की आंतरिक स्थिरता के ख़िलाफ़ जारी दुष्प्रचार को रोकने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि “कोई भी भारत के रणनीतिक हितों को कमजोर नहीं कर सकता है और उन्हें ऐसा करने की छूट नहीं दी जा सकती है। साथ ही यह भी कि भारत की एकता और अखंडता के सामने कुछ भी मायने नहीं रखता है।”