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President Election: राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा की हार पक्की, पहले समर्थन करने वालों ने भी मारा यूटर्न, सिन्हा की होने लगी फजीहत

President Election: ममता बनर्जी का ये बयान कि सिन्हा का साथ देना उनकी मजबूरी है, यशवंत सिन्हा के लिए ये एक बहुत बड़ा झटका है। अब इसके बाद यशवंत सिन्हा की इसे मजबूरी या फजीहत ही माना जाए तो गलत नहीं होगा।

नई दिल्ली। साझा विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) एक बार फिर से चर्चा का विषय बने हुए हैं। इस बार उनके चर्चा में आने की वजह पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) हैं। दरअसल, यशवंत सिन्हा ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनाव प्रचार करने से मना कर दिया है। इसके बाद आसार लगाए जा रहे हैं कि कहीं ममता ने उन्हें अपने राज्य में प्रचार करने के लिए मना तो नहीं कर दिया होगा? इस हिसाब से  ममता के इस कदम को लोग यशवंत सिन्हा की एक बड़ी फजीहत के रूप में देख रहे हैं। बता दें कि ये वहीं ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) हैं, जिनकी पार्टी की सदस्यता लेकर वे बहुत खुश थे। अब यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) के बयान को आप इस कड़ी से भी जोड़ कर बहुत कुछ समझ सकते हैं कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कुछ समय पहले कहा था, अगर बीजेपी (BJP) पहले ही उन्हें बता देती कि वो द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने वाली है तो ऐसे में विपक्ष का समर्थन भी होता। लेकिन अब विपक्ष ने साझा प्रत्याशी के रूप में यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है इसलिए मुर्मू का विरोध और सिन्हा का समर्थन करना उनकी मजबूरी है। ममता के इस बयान के बाद यशवंत सिन्हा को जबर्दस्त झटका लगा है।

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ममता ने की सिन्हा की फजीहत  

ममता बनर्जी का ये बयान कि सिन्हा का साथ देना उनकी मजबूरी है, यशवंत सिन्हा के लिए ये एक बहुत बड़ा झटका है। अब इसके बाद यशवंत सिन्हा की इसे मजबूरी या फजीहत ही माना जाए तो गलत नहीं होगा। यशवंत सिन्हा ने खुद कहा है कि वो पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं जाएंगे। इसके पीछे की वजह साफ करते हुए सिन्हा ने कहा कि ममता बनर्जी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वो बंगाल में चुनाव प्रचार जिम्मा खुद संभाल लेंगी। अब राजनीतिक पंडित इसे सिन्हा की फजीहत और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की मजबूरी से भी जोड़ कर देख रहे हैं।

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ममता के मंसूबों पर NDA का वार

ममता बनर्जी की पार्टी पहले से ही इस होड़ में लगी हुई थी कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चयन में उनकी पार्टी ने अहम भूमिका निभाई है, जिसका क्रेडिट भी उनकी पार्टी को ही जाना चाहिए। लेकिन सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक (NDA) ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाकर ममता के इन मंसूबों पर पानी फेर दिया। दरअसल, एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुख रखती है। अब ऐसे में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को लगता है कि अगर सिन्हा उनके प्रदेश में आकर मुर्मू के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे तो ऐसे में बंगाल का आदिवासी समुदाय उनके नाराज हो जाएगा। जानकारी के लिए बता दें क मुर्मू संथाल हैं, जो कि पश्चिम बंगाल में आदिवासी समुदाय की आबादी का कुल 80 प्रतिशत हैं।