नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मलंगगढ़ में एक मंदिर में आरती के दौरान अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगने का मामला सामने आया है। बता दें कि इस मामले में के बाद वहां स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई। जब बवाल बढ़ा तब जाकर पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज किया। वहीं गौर करने वाली बात यह भी है कि, जब इस तरह के नारे लग रहे थे तब वहां मौजूद पुलिस मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही थी। गौरतलब है कि, मामला महाराष्ट्र के मलंगगढ़ में स्थित मछिंदरनाथ समाधि स्थल का है। जहां पर आरती के दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों द्वारा ‘अल्लाह-हु-अकबर’ का नारा लगाया गया। इसकी वजह से मौके पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई। दरअसल माघ पूर्णिमा के मौके पर कल्याण पूर्व के मलंगगढ़ में स्थित मछिंदरनाथ समाधि स्थल पर लगभग 50 से 60 लोग जोकि हिंदू समुदाय के थे, वे सभी आरती करने के लिए पहुंचे थे।
सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना नेताओं के आग्रह करने पर इन लोगों को आरती की इजाजत मिली थी। क्योंकि कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते इस बार ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने की इजाजत नहीं थी। वहीं मंदिर पहुंचे लोग जब वहां पूजा-पाठ और आरती कर ही रहे थे, तभी उसी समय मुस्लिम समुदाय के 50 से 60 लोग आ गए और अल्लाह-हु-अकबर के नारे जोर-जोर से लगाने लगे।
“दरगाह पर रोक है तो मंदिर के लिए विशेष व्यवस्था क्यों”
इस तरह की स्थिति से वहां दोनों समुदाय में कहासुनी होने लगी और बात मारपीट तक पहुंच गई। इस घटना को लेकर मुस्लिम लोगों का आरोप था कि जब बगल में मौजूद दरगाह पर रोक है तो मंदिर के लिए विशेष व्यवस्था क्यों? इसलिए मुस्लिम समाज के लोग अपना विरोध जताने के लिए वहां पहुंचे थे और आरती के दौरान मंदिर में ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारे लगाए।
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पुलिस सिर्फ मूकदर्शक बनी रही
इस पूरे वाकये के दौरान वहां मौजूद पुलिस सिर्फ मूकदर्शक बनी रही,और जब हालात बिगड़ने लगे तो उन्होंने किसी तरह बीच-बचाव किया। अब मंदिर में आरती कर रहे लोगों के ऊपर कोविड ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। घटना 28 मार्च को रात 8 बजे की है। बताया जा रहा है कि पूजा-पाठ के दौरान हुई इस घटना में धक्कामुक्की भी हुई, और जब पुलिस ने बीच-बचाव की कोशिश की तो मुस्लिम पक्ष के लोगों ने पुलिसवालों का कॉलर पकड़ लिया और उन्हें धक्का भी दिया। पुलिस ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष के 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
समाधि स्थल को लेकर पहले से ही है विवाद
हिंदू पक्ष का कहना है कि नाथ समाज के बाबा मछिंदरनाथ की समाधि है और पेशवाओं ने केतकर नाम के एक ब्राम्हण परिवार को यहां पूजा करने की जिम्मेदारी मिली थी। हिंदू रिति-रिवाज से यहां हर साल पूजा होती आ रही हैं और माघ पूर्णिमा को विशेष तौर पर भव्य पूजा होती है। दही भात का भोग लगाया जाता है। साथ ही हर साल बाबा पालकी निकलती है।
इस स्थल को लेकर, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह सूफी फकीर हाजी अब्दुल रहमान शाह मलंग उर्फ मलंग बाबा की मजार है। जोकि 13 सदी में यमन से कल्यान के मलंगगढ़ आए थे। 80 के दशक में शिवसेना ने इस मुद्दे को सियासी हथियार बनाया और तभी से विवाद शुरू हुआ।