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Yasin Malik Called Himself A Gandhian : उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक ने खुद को बताया गांधीवादी, सोशल मीडिया यूजर्स लेने लगे मौज

Yasin Malik Called Himself A Gandhian : टेरर फंडिंग का दोषी यासीन मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। जम्मू कश्मीर का अलगाववादी नेता यासीन ने अपने संगठन जेकेएलएफ-वाई पर प्रतिबंध की समीक्षा करने वाले यूएपीए न्यायाधिकरण के समक्ष दायर हलफनामे में दावा किया है कि उसने 1994 से ही हथियार और हिंसा छोड़ दी है।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट-यासीन (जेकेएलएफ-वाई) के अध्यक्ष यासीन मलिक ने खुद को गांधीवादी बताते हुए कहा है कि 1994 से ही हथियार और हिंसा छोड़ दी है। टेरर फंडिंग का दोषी यासीन मलिक दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। यासीन ने अपने संगठन जेकेएलएफ-वाई पर प्रतिबंध की समीक्षा करने वाले यूएपीए न्यायाधिकरण के समक्ष दायर हलफनामे में उपरोक्त दावा किया है। दूसरी तरफ यासीन भटकल द्वारा न्यायाधिकरण के समक्ष दाखिल इस हलफनामे की चर्चा सोशल मीडिया पर जोर शोर से हो रही है। सोशल मीडिया यूजर्स यासीन मलिक के गांधीवादी होने के दावे पर उसके पुराने कारनामों को याद दिला रहे हैं और मौज भी ले रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के देवरियाा से बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है, सोनियाराज में जो आतंकी चूहे शेर बने घूमते थे, मोदीराज में वही ‘पालतू’ बने नजर आ रहे हैं। एक अन्य पोस्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ हाथ मिलाते यासीन मलिक की फोटो को शेयर करते हुए बीजेपी विधायक ने हरियाणा की जनता को संबोधित करते हुए लिखा, हरियाणा के वीरों, मत भूलना इन नपुंसक आतंकियों को, मत भूलना इनकी आका कांग्रेस को और मत भूलना इन आतंकियों का माकूल इलाज करने वाले मोदीजी को।

वहीं अर्पित आलोक मिश्र नाम के एक अन्य यूजर ने इस पर कमेंट करते हुए लिखा, यासीन मलिक को पता है ‘सांसे’ चलने के लिए जरूरी है ‘पालतू’ बने रहना क्योंकि देश से गद्दारी अब नहीं सहन होगी। अभिलाष मेहरोत्रा नाम के यूजन का कहना है, सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली! हथियार जब पकड़े थे तभी का हिसाब-किताब हो रहा है अब तो यह कबूलनामा है, लटका देना चाहिए।

जेकेएलएफ-वाई को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है। साल 1988 में यासीन मलिक ने जेकेएलएफ-वाई संगठन की स्थापना की थी। इस संगठन के आतंकवादियों ने 1990 में श्रीनगर के रावलपुरा में भारतीय वायुसेना के चार जवानों की हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड के गवाहों ने यासीन मलिक की पहचान मुख्य शूटर के रूप में कोर्ट में की थी। इसके बाद टेरर फंडिंग मामले में भी यासीन दोषी पाया गया और 2022 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।