श्रमिकों को रोजगार देने के साथ उनको हुनरमंद भी बनाएगी योगी सरकार

मालूम हो कि दूसरे प्रदेशों से अब तक करीब 30 लाख से अधिक कामगार एवं श्रमिक अब तक वापस आ चुके हैं। इनमें से करीब 24 लाख के स्किल की मैपिंग हो चुकी है।

Avatar Written by: June 5, 2020 2:24 pm
Yogi adityanath

लखनऊ। कोरोना संकट के कारण दूसरे प्रदेशों में रह रहे श्रमिकों और कामगारों की वापसी यूपी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अब तक करीब 32 लाख श्रमिकों की सुरक्षित और ससम्मान वापसी हो चुकी है। अब यह सिलसिला थमता सा नजर आ रहा है। अब सरकार के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती वापस आने वाले श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना है। सरकार ने इस समस्या के हल की भी मुकम्मल कार्ययोजना तैयार कर ली है। जो हुनरमंद हैं उनको सरकार रोजगार देगी और जो अकुशल या अद्र्घकुशल हैं, प्रशिक्षण के जरिए उनका हुनर निखारेगी। इसका इन श्रमिकों को दीर्घकालिक लाभ होगा।

Yogi Adityanath

ऐसे श्रमिक जिनको किसी खास प्रशिक्षण की जरूरत होगी, उनको कौशल विकास मिशन के जरिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। यदि मिशन में इसकी व्यवस्था नहीं है तो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विभाग द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों (एक जिला एक उत्पाद, विश्वकर्मा श्रम सम्मान और अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों) के तहत उनको प्रशिक्षण दिया जाएगा। यदि सरकार द्वारा संचालित किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम में संबंधित के हुनर के अनुसार प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है तो उपायुक्त उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन ब्यूरो कौशल मिशन की ओर से जारी अप्रेंटिस कार्यक्रमों के तहत उसी उद्योग में उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगा।

Migrant Workers Majdoor

यदि किसी भी योजना में प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है तो इसकी व्यवस्था सरकार करेगी। ऐसे प्रशिक्षण के लिए एक प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजना होगा। हर श्रमिक को बीमा की सुरक्षा भी देने की योजना है। अगर श्रमिक किसी और जिले में काम पर जाता है तो उसकी आवसीय व्यवस्था भी सरकार करेगी।

मालूम हो कि दूसरे प्रदेशों से अब तक करीब 30 लाख से अधिक कामगार एवं श्रमिक अब तक वापस आ चुके हैं। इनमें से करीब 24 लाख के स्किल की मैपिंग हो चुकी है। इसमें अकेले 22 लाख से अधिक संख्या निर्माण क्षेत्र से जुड़े श्रमिकों की है। बाकी लौटने वाले श्रमिक दूसरे प्रदेशों में रंग-रोगन, बढ़ई, ड्राइवर, दर्जी, कुक, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, नाई, ब्यूटी पार्लर, धोबी, माली हाउस कीपिंग, आटो रिपेयरिंग और सेल्स एंड मार्केटिंग आदि का काम करते रहे हैं। इनमें से करीब 17 लाख संख्या अकुशल श्रमिकों की है। मुख्यमंत्री बार-बार दूसरे प्रदेशों से आने वाले हर श्रमिक को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने और जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण के जरिए उनका हुनर निखारने के प्रति प्रतिबद्धता जता चुके हैं।

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इस पर काम भी शुरू हो चुका है। 29 मई को मुख्यमंत्री की पहल पर उनके आवास पर आयोजित कार्यक्रम में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, लघु भारती, नारडेको (नेशनल रीयल इस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल) और फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री) से 11 लाख श्रमिकों को रोजगार देने का समझौता हुआ था। आगे भी इस तरह के और एमओयू होंगे।

प्रमुख सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया, “सभी कामगारों-श्रमिकों को प्रदेश में ही रोजगार के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने की योगी सरकार की तैयारी है। इन सबको कामगार-श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग के जरिए उनकी दक्षता के अनुसार स्थानीय स्तर पर काम दिया जाएगा।”