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UP: निषादों को आरक्षण देने का योगी सरकार ने केंद्र सरकार से किया आग्रह, निषाद पार्टी की है ये मांग

निषादों की कई उपजातियां भी हैं। ज्यादातर को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। मझवार जाति के लोग आरक्षण मांग रहे हैं। इन्हीं की बात योगी सरकार ने अपनी चिट्ठी में की है। बता दें कि संजय निषाद के नाराजगी जताने के बाद समाजवादी पार्टी यानी सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लपक लिया था।

लखनऊ। गठबंधन में शामिल निषाद पार्टी की मांग पर यूपी की योगी सरकार ने केंद्र की मोदी सरकार को चिट्ठी लिखकर निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति के तहत आरक्षण देने का आग्रह किया है। निषाद पार्टी और बीजेपी की बीते दिनों लखनऊ में साझा रैली हुई थी। जिसमें अमित शाह भी आए थे। निषाद पार्टी को उम्मीद थी कि शाह यहां निषादों को आरक्षण देने का एलान करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिसके बाद निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि वो बीजेपी के साथ गठबंधन के बारे में फिर सोचने पर मजबूर होंगे। संजय निषाद की नाराजगी को देखते हुए ही चुनावी दौर में यूपी सरकार ने मोदी सरकार को चिट्ठी लिखकर निषादों को आरक्षण देने का आग्रह किया है।

निषादों की कई उपजातियां भी हैं। ज्यादातर को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। मझवार जाति के लोग आरक्षण मांग रहे हैं। इन्हीं की बात योगी सरकार ने अपनी चिट्ठी में की है। बता दें कि संजय निषाद के नाराजगी जताने के बाद समाजवादी पार्टी यानी सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लपक लिया था। उनकी तरफ से कहा गया था कि संजय गलत पार्टी के साथ हैं और चाहें तो सपा के साथ आ सकते हैं। अखिलेश ने ये भी कहा था कि सपा की सरकार बनने पर निषादों को तत्काल आरक्षण दिया जाएगा। गौर करने की बात है कि निषाद समुदाय की मशहूर दस्यु सुंदरी फूलन देवी को मुलायम सिंह ने लोकसभा चुनाव जितवाकर संसद भिजवाया था। फूलन के नाम को सपा अब भी अपने पक्ष में लगातार भुनाती रहती है।

यूपी के अलग अलग इलाकों में मझवार जाति के लोग माझी, मझवार, केवट, मल्लाह, निषाद आदि उपनामों का प्रयोग करते हैं। उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है। जबकि, दूसरी अनुसूचित जातियों के लोगों को उपनाम लिखने पर उन्हें प्रमाण पत्र देने में कोई आपत्ति नहीं की जाती है। डॉ. संजय निषाद ने मझवार जाति के सभी उपनाम वाले लोगों को भी अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्रदान किए जाने की मांग की थी। साल 2013 में निषाद पार्टी बनाने से पहले संजय निषाद गोरखपुर में एक होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे। उन्होंने कैम्पियरगंज विधानसभा से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए। फिलहाल वो यूपी विधान परिषद में सदस्य हैं।