नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से नई संसद भवन को लेकर जारी सियासत जोरों पर थी। किसी ने कहा कि इसकी जरूरत ही क्यों?, तो किसी ने इसे इतिहास को बदलने वाला कदम बताया, तो किसी ने इसे इतिहास को कलंकित करने वाला कदम बताया। खैर, किसने क्या कहा? इस बात की परवाह किए बगैर आखिरकार पीएम मोदी ने नई संसद भवन का उद्घाटन कर ही दिया। नई संसद का उद्घाटन किए जाने क बाद भी सियासी बवाल नहीं था। आरजेडी ने इसकी तुलना ताबूत से कर दी। जिस पर बीजेपी ने करारा हमला बोला। यहां तक की खुद ओवैसी ने भी आगे आकर आरजेडी की इस बयान को लेकर फटकार लगाई। उधर, जेडीयू ने केंद्र द्वारा नए संसद भवन के निर्माण को इतिहास को कलंकित करने वाला कदम बताया। इस बीच कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई जिसमें कहा गया कि नई संसद भवन का उद्घाटन करके पीएम मोदी अपना राज्याभिषेक करा रहे हैं, तो इस तरह से आप समझ सकते हैं कि कैसे नई संसद भवन को लेकर जारी लंबी सियासी लड़ाई के बाद नई संसद भवन मूर्त रूप ले पाई है। वहीं, इस रिपोर्ट में हम आपको नई संसद भवन के निर्माण में आई लागत के संदर्भ में एक दिलचस्प तथ्य पेश करने जा रहे हैं, जिससे वाकिफ होने के बाद आपके जेहन में उठ रहे सभी सवाल खुद ब खुद शांत हो जाएंगे।
नई संसद भवन का कार्य साल 2020 से चल रहा था। इसकी जरूरत सांसदों ने साल 2019 में ही महसूस की थी। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके निर्माण का संकल्प लिया और आज उसी संकल्प का नतीजा है कि नई संसद भवन का हम सभी दीदार कर पा रहे हैं। आजाद भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि हमारे द्वारा बनाए गए संसद भवन में हमारे द्वारा चयनित जनप्रितिनिधि बैठेंगे और राष्ट्र निर्माण की दिशा में अहम भूमिका निभाएंगे। बीते दिनों विपक्षियों द्वारा नई संसद भवन के निर्माण में आने वाली लागत पर सवाल उठाए गए थे। ध्यान दें कि संसद भवन का निर्माण कार्य साल 2020 में सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत शुरू किया गया था। उस वक्त कई विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे कि कोरोना जैसी त्रासदी में जब पूरा देश आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है, तो भला नई संसद भवन के निर्माण में करोड़ों की लागत लगाने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं, इस बीच नई संसद भवन के निर्माण की लागत को लेकर हम आपको कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नई संसद भवन के निर्माण में जितनी लागत आई है, उतनी तो अमेरिका वियतनाम में अपनी एबेंसी बनाने में लगाता है। हाल ही में वियतनाम दौरे पर अमेरिकी विदेश मंत्री ने वहां दूतावास की नींव रखी थी। अमेरिका में हाल ही में वियतनाम में दूतावास के निर्माण की नींव रखी है। वहीं, अगर भारतीय मुद्रा के आधार पर वियतनाम में बन रहे अमेरिकी दूतावास के निर्माण में आई लागत की बात करें, तो वह 99 अरब 16 करोड़ 50 लाख बताई जा रही है, जबकि भारत में नवनिर्मित संसद भवन के निर्माण में 971 करोड़ रुपए की लागत आई है, जो वियतनाम में बनी अमेरिकी दूतावास की तुलना में कई गुना कम है। ध्यान दें कि हम यहां पर आपको नई संसद भवन और वियतनाम में अमेरिकी दूतावास के निर्माण में आई लागत का तुलनात्मक अंतर इसलिए पेश कर रहे हैं, क्योंकि गत दिनों विपक्षी द्वारा नई संसद भवन के निर्माण में आई लागत पर सवाल उठाया गया था ,जिसे ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट हम सभी के लिए प्रासंगिक हो जाती है।