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जम्मू-कश्मीर बनता जा रहा है “उड़ता कश्मीर”! जानिए नशे के बाज़ार का असली सच

Jammu and Kashmir: 370 हटने से पहले मुख्य रूप से कश्मीर में हथियारों की Supply ज्यादा होती थी। लेकिन 370 हटने के बाद कश्मीर की स्थिति में काफ़ी बदलाव आया।पुलिस और Army आंतवादियों को खत्म करने में पहले से ज़्यादा कामयाब हो रही है। बड़ी संख्या में Army और पुलिस ने आतंकवादियों का सफाया किया।

नई दिल्ली। एक नशा अभी उतरा नहीं , कि दूसरा चढ़ने लगा। सच्चाई को नकारने का ..असलियत से भागने का…झूठ की दुनिया बसाने का इससे अच्छा तरीक़ा और क्या हो सकता है। धरती के स्वर्ग जम्मू कश्मीर में आजकल कुछ ऐसा ही चल रहा है। बंदूक-बम-पत्थर का नशा थोड़ा कम होना शुरू हुआ, तो चरस के नशे ने जकड़ना शुरू कर दिया । एक बार फिर पाकिस्तान के बिछाए जाल में से तेज़ी से फंसते जा रहे हैं जम्मू कश्मीर के युवा।

जम्मू कश्मीर के DGP के मुताबिक़ Shrinagar के राजा हरि सिंह अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र में हर 12 मिनट में एक मरीज़ पहुंचता है। तो क्या है जम्मू कश्मीर में नशे के बाज़ार का असली सच आपको बताएंगे इस रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर सालों से Conflict Zone रहा है । करीब 35 साल तक आतंकवाद की आग में धधकता रहा है। आग की लपटें अभी कम ज़रूर हुई हैं लेकिन पूरी तरह नहीं बुझी है। ऐसे में इंसान कई बार अपनी परेशानियों से बचने के लिए दूसरा रास्ता ढूंढता है। जम्मू-कश्मीर में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सालों से कश्मीर की जनता के जीवन में डर और संघर्ष के अलावा कुछ नहीं था। ना नौकरी, ना मनोरंजन, ना शांति । ऐसे में अपने दुख को भूलने के लिए वहां के लोग, ख़ासकर युवाओं ने ड्रग्स का सहारा लेना शुरू किया।

ड्रग्स फैलने का दूसरा कारण ये भी था कि वहाँ ये बड़ी आसानी से मिल जाता है। हथियार, आतंकवादी और बम के अलावा
पाकिस्तान, कश्मीर में ड्रग्स भी Supply करता रहा है। लेकिन धीरे-धीरे इस Drugs की समस्या ने जम्मू-कश्मीर को जबरदस्त तरीके से जकड़ लिया। पंजाब की तर्ज पर अब वहां भी बड़ी संख्या में लोगों ने नशा करना शुरू कर दिया है। कुछ समय पहले Indian Express की एक Investigative Report में ये बताया गया कि , जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स का सेवन करने वाले युवाओं की संख्या में पिछले तीन साल में बड़ी वृद्धि हुई है। जानकारी के मुताबिक घाटी के सबसे बड़े नशा मुक्ति केंद्र में नौजवानों के आने की संख्या में ‘75 फीसदी’ की बढ़ोतरी देखी गई है

श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में घाटी का सबसे बड़ा नशा मुक्ति केंद्र चलता है। मार्च 2022 से मार्च 2023 के बीच यहां नशे के शिकार 41 हजार 110 युवा पहुंचे थे, जबकि मार्च 2021 से मार्च 2022 के बीच ये आंकड़ा 23 हजार 403 था। Report के मुताबिक़ 2022 से 2023 के बीच हर 12 मिनट में एक मरीज, हर घंटे में पांच और रोजाना 114 मरीज ओपीडी पहुंचे थे। नशा करने वाले 90 फीसदी युवा 17 से 30 वर्ष की उम्र के हैं। रोज़ कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं। नशा मुक्ति केंद्र में रोज़ ऐसे केसेज़ आते हैं जो वहाँ भी भयानक स्थिति बयान करते हैं। बारामुला में एक परिवार में तीन बेटे नशे का शिकार हो चुके है। बड़ा बेटा पहले ही नशे की भेंट चढ़ चुका है। बाक़ी दो बेटे नशा मुक्ति केंद्र में जाकर अपना इलाज करवा
रहे हैं।

श्रीनगर में एक परिवार की 18 साल की लड़की नशे का शिकार हो गई। जैसे तैसे नशे से मुक्ति मिली तो बारहवीं की परीक्षा की तैयारी फिर से कर रही है। कुपवाड़ा में एक 23 साल का लड़का नशा की चपेट में आने के बाद नशा मुक्ति केंद्र में अपना इलाज कराने पहुँचा क्योंकि उसे अपनी जान जाने का डर है। उसके तीन दोस्त Drugs Overdose से मर चुके हैं। साल 2023 मार्च में Poonch में 2 करोड़ नगद और 7 KG Heroin पकड़ा गया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के DGP दिलबाग सिंह ने Press Conference की, जिसमें बताया था कि हाल के दिनों में Jammu Kashmir में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां दोहरे Challenge का सामना कर रही है। आजकल पाकिस्तान से हथियार और Drugs एक साथ तस्करी करके भारत भेजा जा रहा है। हथियारों को आतंकवादियों तक पहुँचा दिया जाता है, वहीं Drugs को Drug Peddler के पास पहुंचाया जाता है। Drugs से कमाया हुआ पैसा वापस पाकिस्तान जाता है जो Jammu Kashmir में आतंकवादियों की फंडिंग करने में इस्तेमाल होता है।

370 हटने से पहले मुख्य रूप से कश्मीर में हथियारों की Supply ज्यादा होती थी। लेकिन 370 हटने के बाद कश्मीर की स्थिति में काफ़ी बदलाव आया।पुलिस और Army आंतवादियों को खत्म करने में पहले से ज़्यादा कामयाब हो रही है। बड़ी संख्या में Army और पुलिस ने आतंकवादियों का सफाया किया । कई पत्थरबाजों को भी गिरफ्तार किया । इन कार्यवाई से पाकिस्तान की कमर टूटने लगी। ऐसे में पाकिस्तान ने Kashmir में टेंशन बढ़ाने के लिए Drugs की तस्करी बढ़ा दी। DGP दिलबाग सिंह के मुताबिक, इससे आतंकवाद और सोशल क्राइम का मिलन हो रहा है. अब ऐसे में इस समस्या का हल निकालने के लिए जहां सरकार की भूमिका अहम है वहीं कश्मीर की जनता की भूमिका भी उतनी ही अहम है।