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Tokyo: पैरालिंपिक गेम्स में भारत के 5 खिलाड़ियों ने बनाए रिकॉर्ड, इन स्पर्धाओं में भी बेहतर प्रदर्शन

Tokyo: इससे पहले भारतीय दल ने टोक्यो ओलंपिक में भी शानदार प्रदर्शन किया था। लंदन ओलंपिक के मुकाबले भारत ने टोक्यो में ज्यादा पदक जीते। पुरुषों की हॉकी टीम 41 साल बाद मेडल लेकर लौटी। वहीं, महिलाओं ने भी देश की शान में चार चांद लगाए।

टोक्यो। जापान में हुए पैरालिंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 5 गोल्ड समेत 19 मेडल जीते हैं। इनमें 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल भी हैं। इसके अलावा 5 खिलाड़ियों ने इन गेम्स में रिकॉर्ड भी बनाए हैं। जेवलिन थ्रो में सुमित अंतिल ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। जबकि शूटिंग में अवनी लेखरा ने 10 मीटर एयर पिस्टल ईवेंट में नया पैरालिंपिक रिकॉर्ड कायम करते हुए वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की। 50 मीटर पिस्टल ईवेंट में भारत के मनीष नरवाल ने पैरालिंपिक रिकॉर्ड, हाई जंप में सिल्वर जीतने वाले निशाद कुमार ने एशियन रिकॉर्ड और हाई जंप में ही एक और सिल्वर जीतने वाले प्रवीण कुमार ने एशियन रिकॉर्ड बनाया। बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भी कई भारतीय खिलाड़ी मेडल से चूक गए। इनमें पैरा शूटिंग में स्वरूप उनहालकर, पैरा एथलेटिक्स में संदीप चौधरी, सोमन राणा और नवदीप, पैरा बैडमिंटन में तरुण ढिल्लों चौथे स्थान पर रहे। जबकि, पैरा पावर लिफ्टिंग में सकीना खातून, पैरा एथलेटिक्स में रामपाल और अमित सरोहा और पैरा शूटिंग में राहुल जाखड़ पांचवें स्थान पर रहे।

Tokyo Olympics
भारत ने इस बार पैरालिंपिक गेम्स में अपना सबसे बड़ा दल भेजा था। इस दल में 54 खिलाड़ी थे। इन्होंने 9 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। टोक्यो पैरालिंपिक में पहली बार बैडमिंटन और ताइक्वांडो खेलों को शामिल किया गया था और इसमें भारत ने हिस्सा लिया। बैडमिंटन में कई मेडल भी भारत ने जीते। 1968 में पहली बार भारत ने पैरालिंपिक गेम्स में हिस्सा लिया था। साल 2016 तक भारत ने इन गेम्स में सिर्फ 12 मेडल ही जीते थे, लेकिन इस बार 19 मेडल जीतकर भारतीय खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया। इन खेलों में 162 देशों ने हिस्सा लिया था। इनमें भारत 24वें स्थान पर रहा। मेडल के हिसाब से देखें, तो भारत 20वें नंबर पर जगह बनाने में कामयाब रहा।


इससे पहले भारतीय दल ने टोक्यो ओलंपिक में भी शानदार प्रदर्शन किया था। लंदन ओलंपिक के मुकाबले भारत ने टोक्यो में ज्यादा पदक जीते। पुरुषों की हॉकी टीम 41 साल बाद मेडल लेकर लौटी। वहीं, महिलाओं ने भी देश की शान में चार चांद लगाए। लवलीना बोरगोहेन और चानू ने अपने स्पर्धाओं में मेडल जीतकर भारत को दुनियाभर में नाम हासिल करने का मौका दिया।