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…जब सहवाग ने गांगुली को दी कप्तानी करने की सीख

Sourav Ganguly: गांगुली ने यू-ट्यूब चैट में कहा, “हमें फाइनल मुकाबले में 325 रनों के लक्ष्य का पीछा करना था। जब हम ओपनिंग करने उतरे तो मैं दुखी था लेकिन सहवाग ने कहा कि हम यह मुकाबला जीत सकते हैं।”

नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली ने अपनी कप्तानी के दिनों को याद करते हुए बताया कि 2003 में नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल के दौरान उन्हें पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग से कप्तानी करने की सीख मिली थी। गांगुली ने यू-ट्यूब चैट में कहा, “हमें फाइनल मुकाबले में 325 रनों के लक्ष्य का पीछा करना था। जब हम ओपनिंग करने उतरे तो मैं दुखी था लेकिन सहवाग ने कहा कि हम यह मुकाबला जीत सकते हैं।”

Sourav Ganguly

उन्होंने कहा, “हमने अच्छी शुरूआत की और 12 ओवर में 82 रन बटोरे। मैंने सहवाग से कहा कि जब गेंदबाज नई गेंद से गेंदबाजी करे तो तुम्हें अपना विकेट गंवाना नहीं है और सिंगल लेने पर ध्यान केंद्रित करना है।”

पूर्व कप्तान ने कहा, “लेकिन जब रोनी ईरानी पहले ओवर में गेंदबाजी करने आए तो सहवाग ने पहली गेंद पर चौका जड़ा। मैं उनके पास गया और मैंने कहा कि हमें एक बाउंड्री मिल चुकी है और अब बस सिंगल लेना है।”

गांगुली कहा, “सहवाग ने मेरी बात नहीं सुनी और दूसरी गेंद पर भी चौका लगाया। इसके बाद तीसरे गेंद पर एक और चौका जड़ा। मैं काफी गुस्से में था। लेकिन उन्होंने फिर एक चौका लगाया।”

उन्होंने कहा, “उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि सहवाग को रोकने का कोई सवाल नहीं उठता क्योंकि आक्रामक खेलना उनका तरीका है।” 48 वर्षीय गांगुली की साल के शुरूआत में एंजियोप्लिस्टी हुई थी और अब वह इससे उबर रहे हैं। पूर्व कप्तान ने कहा कि मैन मैनेजमेंट कप्तानी करने का महत्वपूर्ण काम है और एक अच्छा कप्तान वो है जो खिलाड़ियों की सोच के साथ खुद को ढ़ाले।

Sourav Ganguly

गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने को अपने करियर का महत्वपूर्ण पार्ट करार दिया। गांगुली ने कहा, “मैं 1992 सीरीज को असफल नहीं मानता हूं। मुझे वहां खेलने का ज्यादा अवसर नहीं मिला। लेकिन इससे मुझे अच्छा क्रिकेटर बनने में मदद मिली। मैंने अगले तीन-चार वर्ष ट्रेनिंग की और मानसिक तथा शारीरिक रूप से मजबूत बना।”

इसके बाद उन्होंने 1996 में लॉर्डस में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और अपने दोनों टेस्ट में शतक जड़ा। उन्होंने लॉडर्स में 131 और नॉटिंघम में 136 रन बनाए थे। गांगुली ने कहा, “1996 में मैं मजबूत होकर वापस लौटा और स्कोर करने के तरीके सीखे तथा भारत के लिए 150 से ज्यादा मुकाबले खेले। लॉडर्स में मैंने बिना किसी दबाव के पदार्पण किया। 1992 से 1996 के दौरान मैं मजबूत बना और मेरा क्रिकेट तथा बल्लेबाजी का ज्ञान बढ़ा।”

उन्होंने कहा, “मैं हमेशा नर्वस रहता था। इससे सफलता में मदद मिलती है। असफलता जीवन का हिस्सा है। इससे बेहतर बनने में मदद मिलती है। सचिन तेंदुलकर भी नर्वस होते थे और दबाव कम करने के लिए हेडफोन्स का इस्तेमाल करते थे।”

Sourav Ganguly And Sachin Tendulkar

गांगुली ने बताया कि किस तरह उनके ड्राइवर ने उन्हें फिटनेस को लेकर सलाह दी थी। उन्होंने कहा, “मैं पाकिस्तान के खिलाफ मैच में रन आउट हो गया और मेरे ड्राइवर ने कहा कि आपने अच्छे से ट्रेनिंग नहीं की थी जिसके कारण आप धीमे दौड़ रहे थे।”