महाराष्ट्र की सियासत में मंगलवार को एक अहम बदलाव हुआ । वहां अब शरद पवार की एनसीपी का हाल भी शिवसेना जैसा हो गया है । चुनाव आयोग ने मंगलवार को अजित पवार गुट को असली NCP घोषित कर दिया । आयोग ने अजित पवार के गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न घड़ी अलॉट कर दिया इसके साथ ही आयोग ने शरद पवार गुट को नए सियासी दल का नाम चुनने के लिए 3 विकल्प देने को भी कहा । इस फैसले से अजित पवार गुट में जश्न का माहौल है जबकि शरद पवार गुट निराश है और लोकतंत्र खत्म होने की बात कह रहा है । चुनाव आयोग ने 6 महीने चली सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है । आयोग का कहना था कि विधायकों की संख्या के बहुमत ने अजित गुट को NCP का नाम और चुनाव चिह्न हासिल करने में मदद की । आयोग ने तमाम दस्तावेजी सबूतों का विश्लेषण कर कहा कि इससे ये साफ है कि अजित गुट का पार्टी और पार्टी के अलावा संगठन पर भी वर्चस्व है लिहाजा पार्टी का नाम और निशान दोनों अजित पवार वाले गुट को दिए गए हैं । शरद पवार अपने भतीजे से कई जगहों पर चूक गए मसलन, सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से नाराजगी, शिंदे सरकार के साथ अजित पवार के हाथ मिलाने, खुद को एनसीपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताने में अजित पवार की तेजी और शरद पवार का सॉफ्ट रवैया उन पर कहीं न कहीं भारी जरूर पड़ा है लेकिन सवाल है कि अब जब पार्टी का नाम और निशान हाथ से चला गया तो महाराष्ट्र की सियासत के भीष्म पितामह के पास ऑप्शन क्या बचा है । ऑप्शन है सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग के इस फैसले को शरद पवार गुट अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा । पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड और सुप्रिया सुले ने भी यही बात कही है । देखना होगा कि पवार गुट के शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद वहां से इस मामले में क्या फैसला आता है ।