Donald trump on white house America
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व उनके सहयोगी कोविड-19 महामारी को लेकर चीन पर बेवजह आरोप लगाने में व्यस्त हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन की सुस्ती के चलते अमेरिका में लगभग दस लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 53 हजार से अधिक नागरिकों की जान चुकी है। इसके साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी इस संकट के चलते भारी नुकसान होने की आशंका है। अमेरिकी कांग्रेस के वित्तीय कार्यालय की ताजा रिपोर्ट यही कहती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस की महामारी से अमेरिका की इकॉनमी 40 प्रतिशत तक नीचे गिर सकती है। जिससे संघीय घाटा तीन खरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। जबकि राष्ट्रीय ऋण भी 27 खरब डॉलर तक पहुंच सकता है। हालत यह हो गई है कि अमेरिका का वर्ष 2020 का राजकोषीय घाटा व कर्ज द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे अधिक होने वाला है।
अर्थव्यवस्था व नागरिकों के वायरस से संक्रमित होने के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप व विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो आदि बड़े नेता गंभीर नहीं दिख रहे हैं। वे लगातार चीन पर दोष मढ़ने में लगे हैं। शायद वे देश की खस्ता हालत की जिम्मेदारी से बचते हुए चीन को बलि का बकरा बनाने में लगे हैं।
जाहिर है कि अमेरिका ने कोविड-19 से पहले भी चीन के खिलाफ व्यापार पाबंदी लगाने की पूरी कोशिश की। अब वैश्विक मुसीबत की घड़ी में भी ट्रंप चीन के साथ उलझने से बाज नहीं आ रहे हैं। वक्त की मांग यही कहती है कि अमेरिका सरकार को चीन के साथ झगड़ने के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वर्तमान हालात को देखते हुए लगता नहीं है कि अमेरिका इस संकट से इतनी जल्दी उबर पाएगा। अगर समय रहते ट्रंप प्रशासन ने उपाय नहीं किए तो देश का बुरा हश्र हो जाएगा।
वायरस के प्रसार को रोकने के लिए चीन ने जिसे तेजी व फुर्ती के साथ कदम उठाए, उनसे सीख लेने की जरूरत है। लगभग दो महीने के लॉकडाउन के बाद चीन इस परेशानी से बाहर आ चुका है। अब चीन दूसरे देशों को मदद देने में जुटा है। यहां बता दें कि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है, ऐसे में भविष्य में अमेरिका के लिए चीन के सहयोग के बिना आगे बढ़ना आसान नहीं होगा।