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Chandrayaan 3: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग? चीन का अजीबोगरीब दावा

Chandrayaan 3: चीन को शायद यह एहसास हो चुका है कि वो अब अपने ही बुने जाल में पं चुका है। इसलिए बीते दिनों दिल्ली आयोजित जी-20 बैठक में जिनपिंग साहह आना गैर-जरूरी समझा। चीन के समक्ष जब कभी-भी जमीनी विवाद का मुद्दा उठाया जाता है, तो उसकी सांसें अटक जाती है।

नई दिल्ली। अपने बेतुके बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले चीन ने एक बार फिर से ऐसा बेतुका बयान दिया है, जिससे वाकिफ होने के बाद आपके होश फाख्ता हो जाएंगे। जी हां, इस बार तो चीन ने अपनी सारी हदें पार कर दीं। चीन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए दावा किया है कि इसरो के चंद्रयान -3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिग हुई ही नहीं। मतलब, जिस ऐतिहासिक क्षण को पूरी दुनिया ने अपनी आंखों से देखा, अब ड्रैगन की बौखलाहट इस कदर अपने चरम पर पहुंच चुकी है कि वो इसे सिरे से ही खारिज करने पर आमादा हो चुका है। कल तक भारत की सरमजीं पर दखलअंदाजी करने वाला चीन अब भारत की वैज्ञानिकों उपलब्धियों पर अनाप-शनाप बोल रहा है।
कोई गुरेज नहीं यह कहने में चीन और पाकिस्तान सरीखे मुल्कों से भारत की उपलब्धि बर्दाश्त होने वाली नहीं है और चंद्रमा के दक्षिणी पर लैंड करने वाला भारत दुनिया का पहला देशकर नया प्रतिमान गढ़ चुका है।

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हालांकि, इससे पहले रूस ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने की कोशिश की थी, लेकिन उसकी यह कोशिश कामयाब नहीं हो सकी। इसके बाद भारत यह कारनामा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया, जिसके बाद नासा जैसी सर्वश्रेष्ठ एजेंसी ने भारतीय वैज्ञानिकों की काबिलियत के आगे घुटने टेककर यह मान लिया कि अगर हिंदुस्तान अपनी पर आ जाए, तो उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है, लेकिन चीन ने तो अब हद ही कर दी है। आखिर किस विनाह पर? किस आधार पर? किन सबूतों को ध्यान में रखते हुए वो यह दावा कर रहा है कि चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिमी ध्रुव पर नहीं पहुंचा। आपको बता दें कि चीन के पास इन इन दावों का कोई आधार नहीं है। कोई सबूत नहीं है। कोई गवाह नहीं। सिर्फ और सिर्फ सस्ती लोकप्रियता और चर्चा में रहने के लिए वो इस तरह के खोखले दावे कर रहा है, जिसकी कोई कीमत नहीं है।

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जब भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तिरंगा फहराया तो पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी भारतीय वैज्ञानिकों की कुव्वत से वाकिफ हो गए। वो मान गए कि आजादी के सात दशकों के बाद जहां आज हम दो जून की रोटी को मुहाल हैं, जहां आज हम आतंकवादियों को संरक्षण देने में व्यस्त हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हमारा पड़ोसी भारत आज चांद तक जा पहुंचा है। सनद रहे कि जब भारत का चंद्रयान -2 विफल हो गया था, तो कैसे ये पाकिस्तानी भारत का मखौल उड़ा रहे थे, लेकिन जब चंद्रयान-3 सफल हुआ, तो इन्हीं लोगों ने भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा का सम्मान किया। रूस और अमेरिका जैसे देश भी भारत के आगे घुटने टेकने पर मजबूर हो गए, लेकिन आज चीन ने जिस तरह का दावा किया है, उस पर भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया उस पर हंस रही है।

चीन को शायद यह एहसास हो चुका है कि वो अब अपने ही बुने जाल में फंस चुका है। इसलिए बीते दिनों दिल्ली में आयोजित जी-20 बैठक में जिनपिंग साहब ने आना गैर-जरूरी समझा। चीन के समक्ष जब कभी-भी जमीनी विवाद का मुद्दा उठाया जाता है, तो उसकी सांसें अटक जाती है। उसके पास कुछ भी बोलने को रहता नहीं है और अब वो भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा पर सवाल उठाने पर आमादा हो चुका है।

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बता दें कि बीते दिनों चीनी विज्ञान अकादमी के सदस्य ओयांग ने कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंचा। हालांकि, हांगकांग के वैज्ञानिकों ने चीन के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि हांगकांग विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक क्वेंटिन पार्कर ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया, ‘जिस क्षण आप दक्षिणी ध्रुव के करीब और निश्चित रूप से दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र के रूप में परिभाषित एक रोवर को उतारते हैं, वह पहले से ही एक बड़ी उपलब्धि है। बहरहाल, अब इस पूरे मुद्दे को लेकर विवादों का नया बाजार गुलजार हो चुका है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।