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चीन भी अब यह मान रहा कि बॉयकॉट चाइना से होगा भारी नुकसान, ऐसे ड्रैगन को पड़ेगी दोहरी मार

गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प से भारत और चीन के बीच तनाव और बढ़ गया। इसका रोष लोगों में भी देखने को मिला और देश में ‘बॉयकॉट चाइना’ की मुहिम शुरू हो गई। ऐसे में खुद चीन ने माना है कि ‘बॉयकॉट चाइना’ की मुहिम से उसे काफी नुकसान होगा।

बीजिंग। गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प से भारत और चीन के बीच तनाव और बढ़ गया। इसका रोष लोगों में भी देखने को मिला और देश में ‘बॉयकॉट चाइना’ की मुहिम शुरू हो गई। ऐसे में भारत सरकार ने 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसके बाद अब खुद चीन ने माना है कि ‘बॉयकॉट चाइना’ की मुहिम से उसे काफी नुकसान होगा और भारत के साथ व्यापार इसी साल 30 से 50 पर्सेंट तक कम हो सकता है।

boycott chinese products

चीन का मानना है कि भारत के साथ व्यापार इसी साल 30 से 50 पर्सेंट तक कम हो सकता है। चूंकि भारत के साथ वह ट्रेड मुनाफे में है (भारत को निर्यात अधिक, आयात कम) इसलिए व्यापार कम होने से चीन को ही बड़ा नुकसान होगा। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ”चीन के खिलाफ भारत में बढ़ते राष्ट्रवाद का असर आर्थिक मुद्दों पर पड़ा है। कोविड-19 के साथ जोड़ दें तो द्वीपक्षीय व्यापार इस साल 30 पर्सेंट कम हो जाएगा और यह गिरावट 50 फीसदी तक हो सकती है।”

china jinping

लेख में शेनझेन यूनिवर्सिटी ‘इंस्टीट्यूट ऑफ बे ऑफ बंगाल स्टडीज’ के डायरेक्टर डाय योंगहोंग ने लिखा, ”सीमा पर भारत-चीन सैनिकों में हिंसक झड़प के बाद कुछ नेता और मीडिया के द्वारा लोगों में राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। चीनी सामानों के बहिष्कार के अलावा देश के बंदरगाहों पर कार्गों जांच बढ़ा दी गई है। झड़प से पहले चीनी कंपनियों द्वारा अधिग्रहण को रोकने के लिए विदेशी निवेश पर जांच-पड़ताल में इजाफा कर दिया गया।”

India-China-relations

इसके अलावा ये भी लेख में यह भी कहा गया है कि भारत और चीन के बीच कई सालों में मजबूत रिश्ते बने हैं। लेख में उम्मीद जताई गई है कि सीमा पर शांति से दोबारा आर्थिक संबंध पटरी पर लौट आएंगे।