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China: चारों तरह से घिर चुके चीन ने चल दी “ब्लैक लिस्ट” की खतरनाक चाल, मचा बवाल

China: 10 जून को चीन ने ऐसा ही एक कानून पास किया। इस कानून के तहत एक भयावह ब्लैक लिस्ट यानि काली सूची तैयार की जाएगी जिसमें किसी भी चीन विरोधी को ढ़केल दिया जाएगा। दरअसल अमेरिका ने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। ये प्रतिबंध हांगकांग और झिनझयांग प्रदेश में चीन की घोर अमानवीय और भीषण स्तर की ज़ालिम नीतियों के खिलाफ लगाए गए हैं।

चीन सभ्य समाज का दुश्मन बन चुका है। चीन में तानाशाही और अमानवीयता की रोज़ नई इबारत लिखी जा रही है। ऐसे ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं जो फ्री वर्ल्ड यानि मुक्त संसार के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं।  10 जून को चीन ने ऐसा ही एक कानून पास किया। इस कानून के तहत एक भयावह ब्लैक लिस्ट यानि काली सूची तैयार की जाएगी जिसमें किसी भी चीन विरोधी को ढ़केल दिया जाएगा। दरअसल अमेरिका ने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। ये प्रतिबंध हांगकांग और झिनझयांग प्रदेश में चीन की घोर अमानवीय और भीषण स्तर की ज़ालिम नीतियों के खिलाफ लगाए गए हैं। मकसद चीन को भयानक मानवाधिकार हनन, साइबर अटैक, बौद्धिक संपत्ति की चोरी आदि के खिलाफ जिम्मेदार ठहराना था। चीन की ये काली सूची उसी का जवाब है।

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चीन की इन्हीं काली नीतियों के चलते अमेरिका, कनाडा, यूरोपियन यूनियन और यूके की मिलीजुली कोशिशों से चीन के कई अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। चीन का हांगकांग के लोकतंत्र को कुचलने और उइगर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार का काला इतिहास है। चीन का नया सैंक्शन कानून इसी काले इतिहास की भयानक तस्वीर है। इसके तहत जो कोई भी चीन के किसी भी व्यक्ति या फिर संस्था के खिलाफ भेदभाव करेगा, उस पर खतरनाक प्रतिबंध लादे जाएंगे।

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उसे एक काली सूची में डाल दिया जाएगा। इस काली सूची को एंटी सैंक्शन लिस्ट का नाम दिया गया है। इसके तहत वीजा देने से इंकार कर देना, डिपोर्ट कर देना, संपत्ति जब्त कर लेना, जैसे तानाशाही कदम उठाए जाएंगे। इस काली सूची की सबसे खतरनाक बात यह है कि इसमें उस व्यक्ति को ही नही बल्कि उसके परिवार को भी टारगेट किया जाएगा।

G7 Modi

इस काली सूची का स्कोप काफी बड़ा है। इसके तहत स्कॉलर, अलग-अलग विषयों के पंडित, थिंकटैंक सभी समेट लिए जाएंगे जिन पर खतरनाक प्रतिबंध लगाया जाएगा। चीन में काम करने की इच्छुक विदेशी कंपनियों को खतरनाक स्क्रूटनी का सामना करना पड़ेगा। ये खतरनाक काली सूची उस वक्त आई है जब दुनिया भर की निगाहें चीन के काले कारोबार पर टिक गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन दुनिया भर की लोकतांत्रिक ताकतों को कम्युनिस्ट चीन के खिलाफ एकजुट कर रहे हैं। अमेरिका जी 7 के अपने सहयोगियों के साथ चीन के खिलाफ एक कॉमन पॉलिसी बनाने पर ज़ोर दे रहा है।

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ध्यान देने वाली बात यह भी है कि चीन काली सूची के इस काले कानून को उस वक्त लाया है जब वह कोरोना के जन्म को लेकर बुरी तरह फंस चुका है। कोरोना के वुहान की लैब में जन्म लेने की थ्योरी पर मुहर लगती जा रही है। इसीलिए चीन के खिलाफ नई जांच की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है। इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तानाशाही और ज़ल्मी रवैए ने दुनिया को विश्व युद्ध की कगार पर खड़ा कर दिया है। कोरोना काल में भी शी जिनपिंग साउथ चाइना सी में अपनी मिलेट्री हुकूमत को विस्तार देने में जुटे हुए हैं। पर चीन से असली लड़ाई का गढ़ एशिया ही बनने जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने भी चीन के धमकी भरे रवैए और तानाशाही के आगे झुकने से इंकार कर दिया है। इससे पहले भारत गलवान में चीन को धूल चटा चुका है। ऐसे में जरूरी है कि फ्री वर्ल्ड चीन के खिलाफ एकजुट हो और पूरी ताकत से चीन की आततायी नीतियों का विरोध करे।