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रिपोर्ट का दावा, वुहान की संदिग्ध लैब से निकला कोरोनावायरस मचा रहा है कोहराम

कुछ खुफिया दस्तावेजों से ये जानकारी मिली है कि अमेरिकी सरकार ने वायरस पर प्रयोग करने वाले वुहान लैब को 28 करोड़ रुपये दिए थे।

बीजिंग। चीन में कोरोनावायरस के एपीसेंटर रहे वह शहर में अब जीवन अपने ढर्रे पर लौटने लगा है। लोग वहां अपने दैनिक कार्यों को कर रहे हैं और यातायात भी वहां पर अब एक तरह से खोल दिया गया है। लेकिन एक बार फिर चीन में कोरोनावायरस ने दस्तक दी है जिसके बाद चीन की सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं ।

कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में फैला। इसके बाद में चीन ने दावा किया कि यह जंगली जीवों के मार्केट से इंसानों में आया। फिर पता चला कि ऐसे वायरस चमगादड़ में पाए जाते हैं, इस वजह से यह संभावना जताई गई कि हो सकता है कि यह चमगादड़ से इंसानों में आया। इसके बाद चीन के एक लैब पर गंभीर सवाल उठने लगे। वजह ये थी कि यह लैब वुहान के जंगली जीवों के मार्केट से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

चीन में मौजूद यह लैब आलीशान है और इस तरह के वायरस पर रिसर्च करने के लिए चीन की सबसे बड़ी लैब भी है। अब इस संदिग्ध लैब के साथ अमेरिकी कनेक्शन का बहुत बड़ा खुलासा हुआ है।

समाचार एजेंसी डेली मेल ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि कुछ खुफिया दस्तावेजों से ये जानकारी मिली है कि अमेरिकी सरकार ने वायरस पर प्रयोग करने वाले वुहान लैब को 28 करोड़ रुपये दिए थे। ये बीते कई सालों में गुहान की इस लैब में रिसर्च के दौरान अमेरिका द्वारा दिया गया पैसा खर्च किया गया और अब इस खुफिया लैब का खुलासा होने के बाद अमेरिका तक के नेता हैरान हैं।

wuhan coronavirus

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार चीन पर इस वायरस को दुनिया में फैलाने का आरोप लगा चुके हैं और इस बीच ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की इमरजेंसी कमेटी कोबरा के सदस्य ने भी लैब से वायरस फैलने की थ्योरी को भरोसेमंद कहा था।

ऐसे में यह संदेह और गहरा हो जाता है और कई सवाल खड़े होते हैं कि क्या वाकई यह वायरस चीन के वुहान लैब में तैयार किया गया होगा और इसके बाद यह इंसानों के बीच महामारी की तरह फैल गया।