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दुनिया भर में ठीक हो रहे मरीज, कोरोना के लिए ‘संजीवनी’ बनीं ये 5 दवाइयां

वर्तमान में 5 ऐसी दवाएं हैं, जिनका इस्तेमाल कोरोना के इलाज में किया जा रहा है और ये दवाएं मरीजों को ठीक भी कर रही हैं।

नई दिल्ली। पिछले 3 महीने में कोरोनावायरस ने दुनिया में अपना दायरा बेहद तेजी से बढ़ाया है। दुनिया आज इस महामारी से कराह रही है। वैज्ञानिक कोरोनावायरस का इलाज ढूंढने के प्रयास में दिनरात जुटे हुए हैं। मगर अबतक कोई संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आया है। लेकिन एक अच्छी बात ये है कि यह वायरस जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन की खोज कर रहे हैं

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दुनिया भर के वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल होने से लोगों की उम्मीद बढ़ रही है। हालांकि वर्तमान में 5 ऐसी दवाएं हैं, जिनका इस्तेमाल कोरोना के इलाज में किया जा रहा है और ये दवाएं मरीजों को ठीक भी कर रही हैं।

1- रेमडेसिवीर : रेमडेसिवीर बनाने वाली गिलिएड साइंसेज कंपनी ने लंबे समय के बाद कोविड-19 के मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। ये एक एंटीवायरल ड्रग है। भारत और पाकिस्तान की 5 दवा कंपनियों को इस दवा को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये दवा कोरोना वायरस की जेनेटिक मशीनरी RNA की कॉपी को बनाने का काम करते हैं। यह दवा शरीर में जाकर संक्रमण के प्रतिरूप को धीमा कर देती है। इस दवा की वजह से कोरोना का मरीज 15 दिन की बजाय सिर्फ 4 दिनों में ही ठीक होने लगता है।

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2- सेप्सिवैक दवाः इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक सेप्सिवैक दवा (Sepsivac) का इस्तेमाल कुष्ठरोग में किया जाता है। यह दवा कोविड-19 (Covid-19) के मरीजों की मृत्यु दर को कम कर सकती है। पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (PGIMR) द्वारा असिम्प्टोमैटिक कोरोना (जिनमें बीमारी के हल्के या कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं) के मरीजों पर सेप्सिवैक दवा का ट्रायल शुरू किया है।

3- फेवीपिरवीर: फेवीपिरवीर (Favilavir) का इस्तेमाल जानलेवा इन्फ्लुएंजा वायरस के इलाज में किया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जल्द ही कोरोना के इलाज में फेवीपिरवीर का इस्तेमाल भारत में किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक फेवीपिरवीर दवा संक्रमण को शरीर के बाकी हिस्सों में फैलने से रोकने का काम करता है।

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4- हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ): इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कोरोना से पीड़ित स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवा का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। अमेरिका, ब्राजील और इजरायल जैसे कई देशों में इस दवा का निर्यात भी किया जाने लगा है. हालांकि पिछले दिनों हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) COVID-19 के खिलाफ उतना असरदार नहीं है। फिर भी इसका इस्तेमाल कई जगहों पर किया जा रहा है।

प्लाज्मा थेरेपी: कुछ वक्त पहले ही प्लाज्मा थेरेपी (Plasma therapy) को कोरोना वायरस (Covid-19) के इलाज के लिए काफी सहायक माना गया है। प्लाज्मा थेरेपी में संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों के शरीर से प्लाज्मा लेकर कोरोना से संक्रमित मरीज के शरीर में डाला जाता है। यह उस मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने की एंटीबॉडी बन जाती है। भारत के कई शहरों में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल भी शुरू हो चुका है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह थेरेपी मरीजों में काफी असरदार है।