newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Covid: अमेरिका के फ्लोरिडा में कोरोना से हुईं रिकॉर्ड मौतें, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने साध रखी है चुप्पी

Covid: अब जरा अमेरिकी और विदेशी मीडिया की बात भी कर ली जाए। फ्लोरिडा में कब्रगाहों में लाशें दफनाने की जगह नहीं है। तमाम अस्पतालों ने लाशें रखने के लिए फ्रीजर खरीदे हैं। कई जगह मॉर्ग में इतनी लाशें हैं कि उन्हें एक के ऊपर एक रखा जा रहा है। छत तक लाशों का अंबार है, लेकिन भारत में कोरोना पर गहरी निगाह लगाए हुए विदेशी और अमेरिकी मीडिया अपने यहां इस हालत पर चुप है।

वॉशिंगटन। भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने जब कहर मचाया था, तो देश के कुछ पत्रकारों के जरिए विदेशी मीडिया और खासकर अमेरिकी अखबारों न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट ने मोदी सरकार पर तमाम सवाल खड़े किए थे, लेकिन अब अमेरिका के फ्लोरिडा में जब कोरोना के कारण रिकॉर्ड मौतें हो रही हैं, तो न अमेरिकी अखबार कुछ कह रहे हैं और न ही भारत के वे पत्रकार जो मोदी को इसी मुद्दे पर घेर रहे थे। फ्लोरिडा में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने कहर बरपा दिया है। एक हफ्ते की बात करें, तो यहां कोरोना से 2345 लोगों की मौत हुई है। जो नया रिकॉर्ड है। हर रोज यहां औसतन 335 लोगों की जान कोरोना से जा रही है। यह मौत में 36 फीसदी की बढ़ोतरी है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी का डेटा इसकी पुष्टि कर रहा है। फ्लोरिडा में कोरोना की वजह से मरने वालों में 63 फीसदी मरीज 65 साल या इससे ऊपर हैं। कुल मौतों का 79 फीसदी बुजुर्ग मरीज ही हैं। उधर, कोलोराडो की बात करें, तो इस हफ्ते स्कूलों में बच्चों को कोरोना होने की दर बढ़ी है। अखबार डेनवर पोस्ट के मुताबिक यहां स्कूलों में 42 बच्चों को कोरोना की पुष्टि हुई।


वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी सरकार फ्लोरिडा में हो रही मौतों पर चुप हैं। बाइडेन सिर्फ ये कह रहे हैं कि कोरोना को रोकने के लिए वैक्सीन लगानी चाहिए। अमेरिका में वैक्सीनेशन का कार्यक्रम 20 सितंबर से शुरू हुआ था, लेकिन अब भी पूरी आबादी को वैक्सीन नहीं लग पाई है। अमेरिका में मूल रूप से फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन लगाई जा रही है। फाइजर के बारे में पहले ही एक स्टडी में कहा जा चुका है कि यह महज 65 फीसदी कारगर है। ऐसे में अमेरिकी सरकार कह रही है कि टीका लगवा चुके लोगों को बूस्टर डोज भी लेनी होगी।

Coronavirus
अब जरा अमेरिकी और विदेशी मीडिया की बात भी कर ली जाए। फ्लोरिडा में कब्रगाहों में लाशें दफनाने की जगह नहीं है। तमाम अस्पतालों ने लाशें रखने के लिए फ्रीजर खरीदे हैं। कई जगह मॉर्ग में इतनी लाशें हैं कि उन्हें एक के ऊपर एक रखा जा रहा है। छत तक लाशों का अंबार है, लेकिन भारत में कोरोना पर गहरी निगाह लगाए हुए विदेशी और अमेरिकी मीडिया अपने यहां इस हालत पर चुप है। इस मामले में भारत के वे मोदी विरोधी पत्रकार भी कुछ नहीं कह रहे, जिन्होंने मोबाइल जर्नलिज्म करके और अमेरिकी अखबारों में लेख छापकर कहा था कि मोदी सरकार मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं कर पा रही और नदियों के किनारे लाशों का अंबार लगा हुआ है। हकीकत ये है कि फ्लोरिडा के हॉस्पिटल्स में भी ऑक्सीजन की कमी की खबर बीते दिनों आई थी। वहां के हॉस्पिटल्स का कहना था कि सरकारी तंत्र से वे सिलेंडर या टैंकर देने की गुहार लगा रहे हैं। ताकि मरीजों की जान बचाई जा सके।