नई दिल्ली। हद है…! बेहुदी की सारी हदों को पार करने पर अमादा हो चुके पाकिस्तान के वजीर-ए-आलम इमरान खान की खामोशी को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। बहस छिड़ गई है, उस इमरान खान को लेकर जो भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का रोना रोते हैं। बहस छिड़ चुकी है, उस इमरान खान को लेकर जो अल्पसंख्यकों के मसलों को लेकर भारत की घेराबंदी करने में मसरूफ रहते हैं। बहस छिड़ चुकी है, उस इमरान खान को लेकर जो अल्पसंख्यकों के हितों को लेकर मुखर होने का दावा करते हैं। खैर, यह बहस उठना लाजिमी है, जब पाकिस्तान में सरेआम हिंदुओं का जबरन धर्मांतरण कराए जाए, तो ये बहस छिड़ना लाजिमी है। लाजिमी है, ये बहस छिड़ना जब सरेआम एक हिंदू नाबालिग लड़की का जबरन धर्मांतरण कराकर उसकी शादी दोगुने उम्र के शख्स से करा दी जाए और पाकिस्तान के वजीर-ए-आलम खामोश रह जाए। बहस छिड़ना लाजिमी है, जब इमरान के राज में हिंदू खौफ के साए में जीने को मजबूर हो जाए। बहस छिड़ना लाजिमी है, जब पाकिस्तान में हिंदुओं की बेबसी अपने चरम पर पहुंच जाए। बहस छिड़ना लाजिमी है, जब इमरान राज में ऐसे मसलों का एक सिलसिला शुरू हो जाए।
जी हां…बिल्कुल ही ठीक पढ़ा आपने…पाकिस्तान में अब हिंदुओं का जीना दुश्वार हो चुका है…शुक्र मानइए कि आपकी पैदाइश हिंदुस्तान में हुई है, नहीं तो आपका भी हश्र उन दो युवतियों के जैसा हो सकता था, जिसके बारे में अभी हम आपको बताने जा रहे हैं। तो पढ़िए पूरे तफसील से। दरअसल, अभी हाल ही में वहां जबरन दो हिंदुओ युवतियों का धर्मांतरण करवाया गया, जिसमें से एक की उम्र तो महज 13 साल और दूसरे की उम्र 19 साल है और हैरानी की बात यह रही कि इन दोनों ही युवतियों की शादी की दोगुने उम्र से शख्स से करा दी गई। लेकिन इमरान साहब खामोश रहकर खुद को सवालों के सैलाब में सराबोर कर गए। खैर, 13 वर्षीय नाबालिग की शादी 26 साल के शख्स और 19 वर्षीय युवती की शादी 33 वर्षीय शख्स से करा दी गई। हैरानी तो इस बात को लेकर है कि ये शख्स पहले से ही शादीशुदा है और इसके बच्चे भी हैं।
अब इन दोनों की नाम भी बदल दिए गए हैं। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद एक बार फिर से पाकिस्तान में हिंदू समुदाय खौफ में आ गए हैं। बता दें कि पाकिस्तान में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री ने इस पूरे मामले की जानकारी विगत 24 दिसंबर को साझा की थी। जिसके प्रकाश में आने के बाद हड़कंप मच गया। वहीं, पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने इस पूरे मामले की आलोचना की है। कई बार जबरन धर्मांतरण को लेकर वजीर-ए-आलम को चेतावनी तक जारी की गई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान को आलोचना करने के अलावा और कुछ भी नहीं आता है।