newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Nawaz Sharif On Kargil War: पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने पहली बार माना कि करगिल प्लान का उनको पता था, अब तक जनरल मुशर्रफ पर ही फोड़ते रहे थे ठीकरा

पाकिस्तान की सेना के जवानों और आतंकवादियों ने मई 1999 में करगिल और द्रास की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। तब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ छोटी जंग लड़नी पड़ी और फिर जुलाई 1999 में करगिल की पहाड़ियों को पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों से मुक्त कराया जा सका था।

लाहौर। पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ अब तक ये दावा करते रहे कि करगिल युद्ध से पहले जनरल परवेज मुशर्रफ के इस बारे में प्लान का उनको कुछ अता-पता नहीं था। अब नवाज शरीफ ने इतने साल बाद माना है कि मुशर्रफ के करगिल प्लान की उनको जानकारी थी। नवाज शरीफ ने लाहौर में कहा कि 1999 में जनरल मुशर्रफ ने उनका तख्ता इसलिए पलटा था, क्योंकि उनके करगिल प्लान को मंजूरी नहीं दी थी। नवाज ने पहली बार माना कि तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के करगिल प्लान की उनको जानकारी थी। पाकिस्तान की सेना के जवानों ने मई 1999 में करगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। तब भारत को पाकिस्तान के खिलाफ छोटी जंग लड़नी पड़ी और फिर जुलाई 1999 में करगिल की पहाड़ियों को पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों से मुक्त कराया जा सका था। पाकिस्तानी सेना के अलावा आतंकी भी करगिल और द्रास की चोटियों पर कब्जा कर बैठ गए थे।

लाहौर में अपनी पार्टी पीएमएल-एन के सदस्यों से नवाज शरीफ ने कहा कि मुझे 1993 और 1999 में सत्ता से बेदखल किया गया। इस बारे में मुझे बताना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ। नवाज ने कहा कि जब उन्होंने करगिल प्लान का विरोध किया और कहा कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था, तो जनरल मुशर्रफ ने उनको सत्ता से हटा दिया। नवाज ने कहा कि उन्होंने इस मामले को अच्छे से संभाला था और जो भी कहा था, वो बाद में सच साबित हुआ। नवाज शरीफ इससे पहले लगातार ये बयान देते रहे कि करगिल प्लान के बारे में उनको जनरल परवेज मुशर्रफ ने अंधेरे में रखा था। करगिल में घुसपैठ को भारत ने बहुत गंभीरता से लिया और पाकिस्तान पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप भी लगाया था। इसकी वजह ये थी कि तब पीएम रहे अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर की यात्रा पर गए थे और पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए नवाज शरीफ से मुलाकात भी की थी।

जब अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर का दौरा कर रहे थे, तब जनरल परवेज मुशर्रफ उनके स्वागत के लिए नहीं पहुंचे थे। उस वक्त मुशर्रफ करगिल प्लान को लागू करा रहे थे। जब जाड़े के मौसम में भारतीय सेना ने द्रास और करगिल की ऊंची चोटियों को खाली कर दिया, तो पाकिस्तानी घुसपैठियों ने वसंत में इन पर कब्जा जमा लिया था। करगिल और द्रास की चोटियों को खाली कराने में भारतीय सेना के 522 अफसर और जवानों को शहीद होना पड़ा था और 1363 जवान घायल हुए थे।