ढाका। बांग्लादेश में क्या इस्कॉन पर बैन लगेगा? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कट्टरपंथी तत्व बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार पर लगातार दबाव डाल रहे हैं कि वो इस्कॉन पर बैन लगाए। चटगांव में तो एक भीड़ ने सड़क पर उतरकर इस्कॉन वालों को खोज-खोजकर मार डालने के लिए उकसाने वाले नारे तक लगाए। वहीं, ढाका हाईकोर्ट में एक अर्जी देकर भी मांग की गई कि अदालत इस्कॉन पर बैन लगाने का आदेश जारी करे। इस अर्जी के बाद अब बांग्लादेश सरकार की प्रतिक्रिया सामने आई है। बांग्लादेश सरकार की इस प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि वो कट्टरपंथियों के दबाव में है और इस्कॉन पर बैन लगा सकती है।
ढाका हाईकोर्ट में बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां पेश हुए और उन्होंने कहा कि इस्कॉन पर बैन लगाने का मामला नीतिगत है। ऐसे में कोर्ट नहीं, बांग्लादेश की सरकार ही तय करेगी कि इस्कॉन पर बैन लगाया जाए या नहीं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इस्कॉन पर बैन लगाने का फैसला तुरंत नहीं किया जा सकता। भविष्य में होने वाले इसके नतीजे देखकर ही फैसला किया जाएगा कि इस्कॉन पर बैन लगाया जाए या नहीं। बांग्लादेश पुलिस पहले ही इस्कॉन के सचिव रह चुके चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर चुकी है। चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने हिंदुओं का संगठन बनाकर बांग्लादेश में कई जगह प्रदर्शन किए थे।
बांग्लादेश में इस साल 5 अगस्त को तत्कालीन पीएम शेख हसीना का तख्ता पलट हुआ था। जिसके बाद वहां कट्टरपंथियों की बन आई है। शेख हसीना के भागकर भारत आने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जबरदस्त हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। तमाम हिंदुओं की हत्या की गई। मंदिरों और घरों को कट्टरपंथियों ने जलाकर राख कर दिया। इसके खिलाफ लाखों हिंदू ढाका और चटगांव में इकट्ठा होकर प्रदर्शन करते रहे। बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार के मुख्य सलाहकार और नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने खुद हिंदुओं के बीच पहुंचकर उनकी सुरक्षा का भरोसा दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत ने भी बांग्लादेश से कड़े शब्दों में कहा है कि वो अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा करे, लेकिन बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार इसे अपने देश का मसला बता रही है।