नई दिल्ली। जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने शुक्रवार को देश की संसद ‘बुंडेस्टैग’ को भंग कर दिया। यह निर्णय उन्होंने चांसलर ओलाफ शोल्ज़ की गठबंधन सरकार के विश्वासमत हारने और गठबंधन के पतन के बाद लिया। इस घोषणा के साथ ही जर्मनी में 23 फरवरी को समय से पहले चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
विश्वासमत में हार और सरकार का संकट
चांसलर ओलाफ शोल्ज़ की तीन-पार्टियों वाली गठबंधन सरकार 16 दिसंबर को विश्वासमत हार गई थी, जिससे वह अब अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। गठबंधन का संकट तब शुरू हुआ, जब 6 नवंबर को सरकार ने जर्मनी की स्थिर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के तरीकों पर विवाद के कारण वित्त मंत्री को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद सरकार के भीतर मतभेद और बढ़ गए, जिससे गठबंधन टूटने की स्थिति आ गई।
Germany’s President has called for an election campaign marked by “respect and decency.”
He warned against outside interference and called on German voters to “protect and strengthen our democracy” by going to the polls on February 23rd. pic.twitter.com/UTiHuw0U5L
— DW Politics (@dw_politics) December 27, 2024
राष्ट्रपति का ऐतिहासिक निर्णय
जर्मनी के संविधान के तहत संसद स्वयं को भंग नहीं कर सकती, इसलिए यह निर्णय लेने का अधिकार राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर के पास था। उन्होंने संविधान के प्रावधानों का पालन करते हुए संसद को भंग करने और नए चुनावों की घोषणा करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय जर्मनी की स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए आवश्यक था।
नए चुनाव 23 फरवरी को
जर्मनी के संविधान के अनुसार, संसद भंग होने के बाद 60 दिनों के भीतर नए चुनाव कराए जाने चाहिए। इस निर्णय के बाद प्रमुख राजनीतिक दल 23 फरवरी को होने वाले चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं।
चुनावों पर देश की निगाहें
विश्व युद्ध के बाद के समय में यह जर्मनी के लोकतांत्रिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह समयपूर्व चुनाव देश के राजनीतिक भविष्य और आर्थिक स्थिरता को नए सिरे से परिभाषित करेंगे। समयपूर्व चुनाव के इस ऐलान के बाद जर्मनी में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं।